28 नवंबर, 2025, जयपुर
ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट (एआईसीआरपी) ऑन इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम्स (आईएफएस) की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक आज राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान (आरएआरआई), दुर्गापुरा-जयपुर, में शुरू हुई।
उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री भागीरथ चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। राजस्थान सरकार के कृषि, बागवानी एवं ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुआ।
सम्मानित अतिथियों में डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), तथा डॉ. ए.के. नायक, उप-महानिदेशक (एनआरएम), भाकृअनुप, शामिल थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. पुष्पेंद्र सिंह चौहान, कुलपति, श्री करण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर, ने की।
श्री भागीरथ चौधरी ने अपने उद्घाटन संबोधन में भारत की बड़े पैमाने पर कृषि पर निर्भर आबादी के लिए एकीकृत खेती प्रणाली (आईएफएस) के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रयोगशालाओं से किसानों के खेतों तक प्रौद्योगिकियों के प्रभावी हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए कृषि विस्तार प्रणाली को मजबूत एवं आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जलवायु परिवर्तन, घटती मिट्टी की उर्वरता, संसाधनों की कमी तथा बाहरी इनपुट पर बढ़ती निर्भरता जैसी चुनौतियों का जिक्र करते हुए, उन्होंने आईएफएस को किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली दृष्टिकोण बताया और वैज्ञानिकों से किसान-केन्द्रित, व्यावहारिक मॉडल विकसित करने का आग्रह किया।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने विश्वास व्यक्त किया कि बैठक से सार्थक और कार्रवाई योग्य परिणाम निकलेंगे। खाद्य और पोषण सुरक्षा की वर्तमान चुनौतियों, सीमित रोजगार के अवसरों, और प्राकृतिक संसाधनों और कृषि रसायनों के अंधाधुंध उपयोग का जिक्र करते हुए, उन्होंने एकीकृत खेती को एक उभरते और आवश्यक समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।
खेती में अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए, उन्होंने मिश्रित फसल तथा मिश्रित खेती प्रणालियों के पारंपरिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उर्वरक एवं कीटनाशकों के उपयोग में असंतुलन को कम करने का आह्वान किया और शोधकर्ताओं से ऐसी तकनीक विकसित करने का आग्रह किया जो खेत स्तर पर व्यावहारिक समाधान प्रदान करे। उन्होंने सरसों, मेथी, बाजरा और मेहंदी जैसी फसलों में राजस्थान को अग्रणी बनाने में वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और किसानों के योगदान को भी स्वीकार किया।
डॉ. एम.एल. जाट ने कृषि वैज्ञानिकों से देश की भौगोलिक और जलवायु विविधता के हिसाब से किसान-अनुकूल आईएफएस मॉडल डिज़ाइन करने और उन्हें जमीनी स्तर पर अपनाने हेतु सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कृषि नवाचार तभी सार्थक होते हैं जब वे किसानों को लाभ पहुंचाते हैं, साथ ही इसे अपनाने में आने वाली किसी प्रकार के व्यवधान को तुरंत दूर किये जाने की बात की।

"सिर्फ भोजन के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए कृषि" की अवधारणा को बढ़ावा देते हुए, उन्होंने स्थानीय खाद्य प्रणालियों को मजबूत करने का आह्वान किया तथा राजस्थान कृषि विकास विज़न 2047 तैयार करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले साल तक हर आईएफएस केन्द्र से जुड़े 100 किसानों के खेतों पर इसी तरह के खेती प्रणाली मॉडल को लागू करेगा।
डॉ. ए.के. नायक ने बताया कि एकीकृत खेती प्रणालियां न केवल फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार करती हैं, बल्कि मौसम की चरम स्थितियों एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता को भी कम करती हैं, जिससे लाभप्रदता, स्थिरता तथा पर्यावरणीय प्रबंधन सुनिश्चित होता है।
डॉ. पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने उभरते हुए आईएफएस मॉडल का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने कृत्रिम मेधा (AI)-आधारित प्रौद्योगिकियों, प्राकृतिक खेती, बुद्धिमान जल प्रबंधन और संरक्षण-उन्मुख कृषि को शामिल करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने मूल्य संवर्धन, संरक्षण और सौर-ऊर्जा संचालित प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया, खासकर प्याज जैसी फसलों के लिए।

डॉ. राकेश कुमार, सहायक महानिदेशक; डॉ. विमला धुकवाल, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा; डॉ. त्रिभुवन शर्मा, कुलपति, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, जोबनेर; डॉ. सुनील कुमार, निदेशक, भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम; डॉ. तोमर, निदेशक, केन्द्रीय एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर; डॉ. रघुनंदन शर्मा, निदेशक, विस्तार शिक्षा; डॉ. नरेन्द्र कुमार गुप्ता, निदेशक, योजना एवं निगरानी; और डॉ. एल.एन. बैरवा, डीन, बागवानी, भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
डॉ. उमेद सिंह, निदेशक अनुसंधान, एसकेएनएयू, जोबनेर, ने स्वागत संबोधन दिया, जबकि डॉ. हरफूल सिंह, निदेशक, आरएआरआई, ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के दौरान कई तकनीकी फ़ोल्डर और पुस्तिकाएं जारी की गईं।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ)







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