गोवा के राज्यपाल ने भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा द्वारा कार्यान्वित 'खजान भूमि का कायाकल्प' अनुसंधान परियोजना का किया शुभारंभ

गोवा के राज्यपाल ने भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा द्वारा कार्यान्वित 'खजान भूमि का कायाकल्प' अनुसंधान परियोजना का किया शुभारंभ

19 नवंबर 2022, गोवा

श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई, राज्यपाल, गोवा ने आज यहां भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान (सीसीएआरआई), गोवा द्वारा कार्यान्वित की जा रही गोवा की खजान भूमि (तटीय लवणीय मिट्टी) के कायाकल्प के लिए अनुसंधान परियोजना का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का आयोजन गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) की कृषि और खाद्य प्रसंस्करण समिति द्वारा किया गया था।

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राज्यपाल ने अपने संबोधन में परियोजना शुरू करने के लिए भाकृअनुप-सीसीएआरआई टीम और परियोजना के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड को बधाई दी। उन्होंने यह भी बताया कि यदि परियोजना को खजान भूमि में सफलतापूर्वक लागू किया जाता है तो गोवा राज्य के लिए सबसे उपयुक्त मॉडल अपनाकर खजान भूमि का उपयोग करने के लिए एक सरकारी नीति बनाई जा सकती है।

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परियोजना के शुभारंभ के बाद, डॉ. प्रवीण कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-सीसीएआरआई ने मुख्य अतिथि को गोवा के किसानों और गोवा के कृषि और परिदृश्य तथा परियोजना के लाभों के बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर राज्यपाल ने, श्री संदीप टी. नाडकर्णी, पूर्व मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग, गोवा द्वारा लिखित पुस्तक "द खजान्स ऑफ गोवा" का भी विमोचन किया।

जीसीसीआई के अध्यक्ष, श्री रॉल्फ डिसूजा ने स्वागत संबोधन दिया।

श्री ऑरलैंडो रोड्रिग्स, अध्यक्ष, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण समिति, जीसीसीआई ने व्यवहार्य हस्तक्षेपों के साथ गोवा की खजान भूमि को अधिक उत्पादक भूमि में बदलने और खजान भूमि किसानों की आजीविका में सुधार के लिए परियोजना के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गोवा में 19000 हेक्टेयर खजान क्षेत्र में से 2000 हेक्टेयर से कम खेती के अधीन है और इसलिए गोवा की इस पारंपरिक खेती पद्धति को वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर एकीकृत फ्रेमिंग सिस्टम जैसे उपयुक्त हस्तक्षेपों के साथ बहाल करने और संरक्षित करने की आवश्यकता है।

इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-सीसीएआरआई के वैज्ञानिकों की परियोजना टीम, विभिन्न लाइन विभागों के अधिकारियों, किसानों, हितधारकों आदि ने भाग लिया।

श्री संजय अमोनकर, महानिदेशक, जीसीसीआई, गोवा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)

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