1-2 सितंबर, 2025, भुवनेश्वर
भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठाजलीय जलकृषि संस्थान, भुवनेश्वर और एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी की भारतीय शाखा (एएफएसआईबी), मैंगलोर ने संयुक्त रूप से 1 से 2 सितंबर, 2025 के दौरान भाकृअनुप-सीआईएफए, कौशल्यागंगा, भुवनेश्वर में "जलकृषि में प्रजातियों की प्राथमिकता एवं अनुवांशिक सुधार" पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में देश भर के लगभग पचास नीति निर्माता, भाकृअनुपॉ के वैज्ञानिक, हैचरी मालिक, प्रगतिशील मत्स्यपालक और राज्य मत्स्यपालन विभाग शामिल हुए।
इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय जलकृषि में भविष्य के अनुसंधान एवं विकास का मार्गदर्शन करने के लिए मीठे पानी, खारे पानी, ठंडे पानी तथा समुद्री जलकृषि क्षेत्रों में प्राथमिकता वाली प्रजातियों पर विचार-विमर्श करना है। यह पहल आनुवंशिक सुधार रणनीतियों को राष्ट्रीय जलकृषि लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए महत्वपूर्ण है। कार्यशाला में प्रजनन, बीज उत्पादन और संवर्धन प्रथाओं के संदर्भ में प्राथमिकता वाली जलीय कृषि प्रजातियों की वर्तमान स्थिति का गहन मूल्यांकन किया गया, जिसमें किसानों और राज्य मत्स्य पालन विभागों द्वारा उनके अपनाने तथा विविधीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया। इससे भविष्य के अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने में मदद मिलेगी।

कार्यशाला के दौरान, उपस्थित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान और कृषि शिक्षा), भाकृअनुप, श्री सागर मेहरा, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन), मत्स्य पालन मंत्रालय; डॉ. बी.के. बेहरा, मुख्य कार्यकारी, एनएफडीबी; डॉ. देविका पिल्लई, सहायक महानिदेशक (अंतर्देशीय मत्स्य पालन); और डॉ. शुभदीप घोष, सहायक महानिदेशक (मात्स्यिकी वित्त) शामिल थे।
बैठक में डॉ. एन.पी. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, डॉ. काजल चक्रवर्ती, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ, डॉ. अमित पांडे, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय शीतजल संस्थान मत्स्य अनुसंधान, भीमताल, डॉ. बी. दास, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर।
भाकृअनुप संस्थानों, राज्य मत्स्य विभागों, मत्स्य महाविद्यालयों, साथ ही मत्स्य पालकों और हैचरी मालिकों के हितधारकों ने भारतीय जलीय कृषि के भविष्य की दिशा तय करने और सतत प्रजातियों के विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित इस महत्वपूर्ण विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठाजल जलीय कृषि संस्थान, भुवनेश्वर)
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