5 सितंबर, 2025, बैरकपुर
केन्द्रीय वस्त्र मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध रेशा अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर में जूट एवं संबद्ध रेशा उद्योग के हितधारकों के साथ एक व्यापक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस सत्र में इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण तथा टिकाऊ वस्त्रों में भारत के नेतृत्व को मज़बूत करने के उद्देश्य से प्रमुख नवाचारों, नीतिगत निर्देशों एवं सहयोगात्मक पहलों पर प्रकाश डाला गया।
मंत्री ने दो ऐतिहासिक तकनीकों, जूट रिबनर मशीन तथा बास्ट बेल्टर डेकोर्टिकेटर का उद्घाटन किया। जूट रिबनर मशीन किसानों को जूट के डंठलों से बिना चिपके पराली को कुशलतापूर्वक अलग करने में सक्षम बनाती है, जिससे श्रम, समय और उत्पादन लागत में कमी आती है। इस नवाचार से कृषि उत्पादकता में वृद्धि, ग्रामीण आय में सुधार और जूट की खेती में वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। ये मशीनीकरण प्रयास कटाई के बाद जूट के प्रबंधन में सटीकता और आधुनिकता लाने की दिशा में एक कदम आगे हैं।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री गिरिराज सिंह ने कृषि प्रणालियों, विशेष रूप से उभरते बास्ट रेशों में नवाचार को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने ऊतक संवर्धन के माध्यम से वैकल्पिक रोपण सामग्री विकसित करने, उन्नत किस्मों को अपनाने और किसानों के प्रशिक्षण एवं जागरूकता को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ये उपाय किफायती एवं टिकाऊ वस्त्रों के साथ "खेत से फैशन" मूल्य श्रृंखला में वैश्विक अग्रणी बनने के भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अपनी यात्रा के दौरान, मंत्री महोदय ने भाकृअनुप-क्रिजाफ में बास्ट मेगा प्लांटेशन तथा सिसल-ट्यूबरोज़ प्लांटेशन का भी दौरा किया। न्यू एज फाइबर पहल के तहत विकसित, ये एकीकृत मॉडल कई फसलों तथा कृषि चक्रों को जोड़ते हैं, स्थिरता को बढ़ावा देते हुए कपड़ा उद्योग के लिए पर्यावरण के अनुकूल कच्चे माल का उत्पादन करते हैं। "जीवित प्रयोगशालाओं" के रूप में कार्य करते हुए, ये बागान किसानों को व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं साथ ही आय विविधीकरण को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें भविष्य की बाज़ार माँगों को पूरा करने के लिए तैयार भी करते हैं।
डॉ. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजाफ ने नए ज़माने के रेशों की खेती के विस्तार में संस्थान की पहलों पर प्रस्तुति दी तथा क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान मंत्री और प्रतिनिधियों के साथ मौजूद रहे।

बैठक का एक महत्वपूर्ण परिणाम कपड़ा उद्योग के हितधारकों के साथ पांच समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर होना था। ये समझौता ज्ञापन प्लास्टिक तथा सिंथेटिक रेशों के पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों जैसे फ्लेक्स, रेमी और सिसल जैसे नए जमाने के प्राकृतिक रेशों को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये समझौते प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुसंधान सहयोग और व्यवसायीकरण को सुगम बनाएंगे, जिससे रोजगार सृजन तथा उद्योग में स्वीकार्यता के साथ टिकाऊ रेशों को अपनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस कार्यक्रम में किसानों सहित लगभग 150 उद्योग भागीदारों और हितधारकों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध रेशा अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)
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