किसान प्रथम कार्यक्रम के तहत किसान-वैज्ञानिक संपर्क तथा आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन

किसान प्रथम कार्यक्रम के तहत किसान-वैज्ञानिक संपर्क तथा आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन

1 सितंबर, 2025, हरिंघटा, नादिया

पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (डब्ल्यूबीयूएएफएस) द्वारा भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के सहयोग से, किसान प्रथम कार्यक्रम (एफएफपी) के अंतर्गत हरिंघटा में एक किसान-वैज्ञानिक संपर्क तथा आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य पशुपालन एवं संबद्ध क्षेत्रों में वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ बनाना था।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, डॉ. तीर्थ कुमार दत्ता, कुलपति, डब्ल्यूबीयूएएफएस, ने पशुपालन एवं मत्स्य पालन में वैज्ञानिक प्रशिक्षण और आदान सहायता के माध्यम से सीमांत किसानों, विशेषकर महिलाओं की आय बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एफएफपी समुदाय-संचालित मार्गों को बढ़ावा देकर किसानों और वैज्ञानिकों के बीच की खाई को पाटता है जो व्यवहार्य प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करते हैं, महिलाओं को सशक्त बनाते हैं, फीडबैक-आधारित शिक्षा को मजबूत करते हैं, और स्थायी आजीविका सुरक्षा के लिए बाजार संबंध बनाते हैं।

इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में प्रो. बी.के. सिल, निदेशक, डीआरईएफ; प्रो. पार्थ दास, रजिस्ट्रार, डब्ल्यूबीयूएएफएस; और श्रीमती महाश्वेता बिस्वास, बीडीओ, हरिंघटा शामिल थे।

Farmer–Scientist Interface and Input Distribution under Farmer FIRST Programme Organised

"वैज्ञानिक पशुपालन और संबद्ध हस्तक्षेप मॉड्यूल के माध्यम से आजीविका सशक्तिकरण" विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम ने वैज्ञानिकों, विस्तार पेशेवरों, राज्य के अधिकारियों तथा प्रगतिशील किसानों को ज्ञान के आदान-प्रदान एवं प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए एक साझा मंच पर एक साथ लाया।

इस कार्यक्रम के तहत, तीन गांवों आयशपुर, बक्सा और दक्षिण दत्तापारा को औपचारिक रूप से गोद लिया गया। इन गाँवों में 1,000 से अधिक किसानों को शामिल करते हुए आधारभूत सर्वेक्षण पहले ही पूरे हो चुके हैं तथा चिन्हित आजीविका चुनौतियों के समाधान हेतु एक कार्य योजना (2025-26) तैयार की गई है।

जमीनी स्तर पर इसे अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, किसानों के बीच कई महत्वपूर्ण जानकारी वितरित की गई:

• 45 कृषक महिलाओं और पशुपालकों को वनराजा मुर्गी, कृमिनाशक दवाइयों, विटामिन-खनिज मिश्रण और चारे के बीज दिए गए।

• 15 मत्स्य पालकों को तालाब शुद्धिकरण के लिए चूना दिया गया।

• 15 डेयरी किसानों को उन्नत चारे के बीज दिए गए।

• 70-80 परिवारों को पोषण उद्यान विकसित करने के लिए सब्जियों के बीज दिए गए।

कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण बंगाली में दो पुस्तिकाओं और एक पशुपालन कैलेंडर का विमोचन था, जिसमें किसानों को वैज्ञानिक पशुपालन, पशुधन स्वास्थ्य प्रबंधन तथा आय एवं लचीलापन बढ़ाने के लिए संबद्ध प्रथाओं पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)

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