3 दिसंबर, 2025, मुंबई
भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई, ने आज ‘कॉटन वैल्यू चेन में विवरण, पारदर्शिता तथा टिकाऊपन’ शीर्षक से एक विचार मंथन सत्र आयोजित करके अपना 102वां स्थापना दिवस एवं कृषि शिक्षा दिवस मनाया। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रमुख शोधकर्ताओं, उद्योगपतियों, प्रगतिशील स्टार्टअप तथा प्रगतिशील किसानों सहित विभिन्न हितधारकों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की गई।
डॉ. एस.के. शुक्ला, निदेशक, भाकृअनुप-सीरकॉट, ने केवल डिजिटल ट्रेसिबिलिटी समाधान अपनाने में आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने सस्टेनेबिलिटी के दावों का समर्थन करने वाले ठोस सबूत प्रदान करने के लिए फिजिकल ट्रेसर विकसित करने और उनका उपयोग करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया, जो ब्रांड मूल्यों और उपभोक्ता विश्वास को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि वैश्विक खरीदार नैतिक सोर्सिंग और टिकाऊ प्रथाओं का सत्यापन योग्य प्रमाण मांगते हैं, जो भारत की विभाजित आपूर्ति श्रृंखला के कारण प्रदान करना मुश्किल है। उन्होंने सुझाव दिया कि ट्रेसिबिलिटी खेत से बाजार तक कपास की यात्रा का एक अपरिवर्तनीय डिजिटल रिकॉर्ड प्रदान करती है, जिससे निर्यातकों को सामाजिक एवं पर्यावरणीय मानकों के अनुपालन को ठोस रूप से प्रदर्शित करने की अनुमति मिलती है।

चर्चा की शुरुआत पूरे कॉटन वैल्यू चेन के सतत विकास के लिए ट्रेसिबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी को आवश्यक घटकों के रूप में एकीकृत करने की आवश्यकता के व्यापक अवलोकन के साथ हुई। सत्र में वर्तमान में विश्व स्तर पर उपयोग की जा रही विभिन्न ट्रेसिंग तकनीकों पर प्रकाश डाला गया और इन प्रणालियों को लागू करने में भारतीय उद्योगों द्वारा सामना की जाने वाली व्यावहारिक चुनौतियों की जांच की गई। संस्थान में विकसित की जा रही एक फिजिकल ट्रेसर तकनीक की प्रगति पर भी अपडेट प्रदान किया गया।
बाहरी हितधारकों के अलावा, आंतरिक प्रतिभागियों में भाकृअनुप-सीरकॉट, मुंबई के डिवीजनों के प्रमुख, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अधिकारी शामिल थे। सभी हितधारकों ने अपनी व्यावहारिक, क्षेत्र-आधारित अंतर्दृष्टि साझा करके सार्थक योगदान दिया।
विचार मंथन सत्र का समापन दीर्घकालिक क्षेत्रीय उन्नति के उद्देश्य से कार्रवाई योग्य सिफारिशों के एक स्पष्ट सेट के साथ हुआ। प्रमुख सुझावों में फिजिकल और डीएनए ट्रेसर के साथ-साथ डिजिटल ट्रेसिंग उपकरणों को शामिल करते हुए कॉटन वैल्यू चेन के लिए एक स्वदेशी, अनुकूलित ट्रेसिबिलिटी समाधान का विकास शामिल था। इस बात पर जोर दिया गया कि ये प्रणालियाँ किसान- या क्षेत्र-केन्द्रित होनी चाहिए, जो अंतिम उपयोगकर्ताओं तथा ब्रांडों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हों। सफल कार्यान्वयन
के लिए प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास, सत्यापन और व्यापक रूप से अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता होगी।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई)







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