15-17 दिसंबर, 2022, बेंगलुरु
भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु तथा सोसाइटी फॉर बायोकंट्रोल एडवांसमेंट (एसबीए), बेंगलुरु ने जैविक नियंत्रण पर 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन - "कृषि में कीट और रोगों के जैविक नियंत्रण के 75 वर्ष: चुनौतियां और आगे का रास्ता" रमादा व्याधम, येलहंका, बेंगलुरु में आयोजन किया।
उद्घाटन संबोधन के मुख्य अतिथि, डॉ. अशोक दलवई, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने जलवायु स्मार्ट कृषि को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और आगाह किया कि कैसे जलवायु परिवर्तन और कीटनाशकों के गलत उपयोग से कीटों की समस्या बढ़ जाती है। उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने और जैविक नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए बायोकंट्रोल एजेंटों के इन-सीटू और एक्स-सीटू संरक्षण के साथ-साथ जैव विविधता के संरक्षण तथा जैविक नियंत्रण, दोनों को आगे बढ़ाने की वकालत की।


डॉ संजय आर्य, सचिव (सीआईबी और आरसी), नई दिल्ली ने जैव कीटनाशकों के सरलीकृत पंजीकरण पर हाल के दिशानिर्देशों और नीतियों की जानकारी दी।
डॉ. एस.सी. दुबे, सहायक महानिदेशक (पीपी एंड बी), भाकृअनुप ने संभावित बायोकंट्रोल उत्पादों के परीक्षण, सत्यापन, बड़े पैमाने पर उत्पादन और पंजीकरण के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को मजबूत करने का आग्रह किया।
डॉ. एन.के.के. कृष्णकुमार, पूर्व उप महानिदेशक, (बागवानी विज्ञान) ने फसल कीटों और पौधों के रोगजनकों के प्राकृतिक शत्रुओं तथा कृषि-पारिस्थितिक तंत्र में उनके संबंधों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
स्वागत संबोधन में, डॉ. एस.एन. सुशील, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएआईआर और अध्यक्ष, एसबीए ने कीटों और बीमारियों के जैविक नियंत्रण को बढ़ावा देने के संदर्भ में देश के पौध संरक्षण प्रयासों के समर्थन में भाकृअनुप-एनबीएआईआर की स्थापना और उपलब्धियों के इतिहास पर प्रकाश डाला।
डॉ. सुभाष चंदर, निदेशक, भाकृअनुप-एनसीआईपीएम, नई दिल्ली ने ट्राइट्रोफिक अंतःक्रियाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और जलवायु अनुकूल जैव नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के विकास की मात्रा निर्धारित करने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन को मजबूत बनाने की आवश्यकता का संकेत दिया।
डॉ. के.एल. गुजर, संयुक्त निदेशक (पीपी), सीआईबी और आरसी ने बाजार में उपलब्ध जैव कीटनाशकों पर गुणवत्ता जांच के महत्व पर जोर दिया (डब्ल्यूयू1)।
डॉ. ए.एन. मुखोपाध्याय, पूर्व कुलपति, एएयू, जोरहाट ने ट्राइकोडर्मा का उपयोग करके पौधों की जैविक बीमारियों तथा आगे बढ़ने के अपने अनुभवों पर प्रकाश डाला।
भारत में पिछले 10 वर्षों के भीतर 15 से अधिक आक्रामक कीटों के प्रवेश को संबोधित करते हुए, विशेषज्ञों ने महसूस किया कि बढ़ते व्यापार के मद्देनजर, अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू एकांतवास पर जोर दिया साथ ही देश को डेटाबेस के विकास के आलावा आक्रामक कीटों और देशों के बीच बायोकंट्रोल एजेंटों के मुक्त आदान-प्रदान को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ टी.एम. मंजूनाथ, पूर्व निदेशक, मोनसेंटो रिसर्च सेंटर, बेंगलुरु ने सिंथेटिक कीटनाशकों और अन्य आईपीएम रणनीतियों के साथ संवर्धित जैव नियंत्रण को एकीकृत करने की चुनौतियों और संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. वी.वी. राममूर्ति, पूर्व प्रोफेसर, भाकृअनुप-आईएआरआई, नई दिल्ली ने पारिस्थितिक डेटा के साथ एकीकृत वर्गीकरण पर जोर दिया। साथ ही कीड़ों द्वारा निभाई जाने वाली पारिस्थितिक सहयोग के लिए समय, इस बिन्दु पर वक्ताओं ने एक फसल इको-सिस्टम में प्राकृतिक बाधकों की कार्यात्मक तथा संख्यात्मक विविधता को मापने के लिए सूचकांकों के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. आलोक श्रीवास्तव, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएआईएम, मऊ और डॉ. टी. वेंकटेशन, प्रमुख, भाकृअनुप-एनबीएआईआर ने मॉलिक्यूलर असिस्टेड स्मार्ट बायोकंट्रोल एजेंटों और आरएनएआई आधारित बायोकंट्रोल प्रौद्योगिकियों के विकास के महत्व पर प्रकाश डाला।
भाकृअनुप-एनबीएआईआर के पूर्व निदेशकों जैसे, डॉ. चंडीश आर. बल्लाल, डॉ. ए. वर्गीस, और डॉ. एन. भक्तवत्सलम ने भारत में फसल कीटों के जैविक नियंत्रण की सफलता और भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बात की। डॉ. पी.डी. कमला जयंथी, राष्ट्रीय प्रोफेसर, भाकृअनुप-आईआईएचआर, बेंगलुरु ने अपने संबोधन में संकेत दिया कि अर्ध-रसायनों जैसे - फेरोमोन, पौधों के वाष्पशील और आवश्यक तेलों ने स्थायी आईपीएम कार्यक्रमों को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
गणमान्य व्यक्तियों ने सम्मेलन सार पुस्तक, एनबीएआईआर एक नज़र में, पेंटाटोमिड बग पर डेटाबेस, बायोकंट्रोल एजेंटों पर तकनीकी फ़ोल्डर, मोबाइल ऐप और पशु चिकित्सा और मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित आर्थ्रोपोड्स पर एक पुस्तक का विमोचन किया।
समापन सत्र की अध्यक्षता, डॉ. ए.एन. मुखोपाध्याय ने किया। सत्र के संयोजकों ने प्रत्येक सत्र के विचार-विमर्श से निकली प्रमुख बिंदुओं को प्रस्तुत किया।
सम्मेलन के दौरान, एसबीए द्वारा विभिन्न पुरस्कार संस्थान, सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस पुरस्कार, विभिन्न श्रेणियों पर सर्वश्रेष्ठ शोध कार्य, साथी पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ मौखिक और पोस्टर पुरस्कार वैज्ञानिकों, शोध विद्वानों और छात्रों को वितरित किए गए। तीन दिवसीय सम्मेलन में 25 उद्योगों सहित 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु)
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