आदिवासी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए, भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने अनुसूचित जनजाति घटक के तहत केवीके, भाकृअनुप-सीआईएसएच, मालदा के सहयोग से पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर ग्राम पंचायत के आठ गांवों को गोद लिया।
इस संबंध में आज एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफआरआई ने विभिन्न राज्यों में आजीविका बढ़ाने में संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अंतर्देशीय मत्स्य पालन के विभिन्न पहलुओं और इसके मार्ग के बारे में जानकारी दी और पोषण सुरक्षा में अंतर्देशीय मत्स्य पालन की भूमिका पर भी जोर दिया।
भाकृअनुप-सिफरी ने केजग्रो फिश फीड के 360 किलोग्राम फिश सीड और चूना 120 आदिवासी महिलाओं को उनके घरेलू तालाबों में जलीय कृषि के माध्यम से उनकी आजीविका का समर्थन करने के लिए तथा 30 चयनित आदिवासी महिला लाभार्थियों को सजावटी मछली टैंक भी वितरित किया गया।
आजीविका सुधार कार्यक्रम के लिए 150 आदिवासी महिलाओं का चयन किया गया, जिनमें से 120 का चयन घरेलू तालाबों में जलीय कृषि की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए और 30 सजावटी खेती के लिए आजीविका विकल्प के रूप में उनकी घरेलू अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को बढ़ावा दिया गया। इन महिला समूह ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक एफपीओ भी बनाया है।
यह पहल पिछले साल भाकृअनुप-सीआईएफआरआई, बैरकपुर परिसर में ऑन-कैंपस प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ शुरू की गई थी। 50 आदिवासी महिलाओं को अंतर्देशीय मात्स्यिकी प्रबंधन पर उनके कौशल को विकसित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया तथा उन्हें वैकल्पिक आजीविका की रणनीति के रूप में अपने वर्षा सिंचित घरेलू तालाबों में छोटे पैमाने पर मछली पालन शुरू करने के लिए प्रेरित भी किया गया।
जनजातीय लोगों की सक्रिय भागीदारी से कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन भी किया गया।
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