4 जुलाई, 2021, उत्तराखंड
भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखंड ने आभासी तौर पर आज अपने प्रायोगिक फार्म हवालबाग और इसके दो कृषि विज्ञान केंद्रों, केवीके, काफ्लीगेर, बागेश्वर और केवीके, चिन्यालीसौर, उत्तरकाशी में अपना 98वाँ स्थापना दिवस मनाया।
'प्रथम पद्म भूषण प्रो. बोशी सेन स्मृति व्याख्यान' में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने संस्थान की स्थापना में योगदान के लिए प्रो. बोशी सेन को श्रद्धांजलि दी।
महानिदेशक ने भाकृअनुप के भीतर और बाहर के संस्थानों के सहयोग से संस्थान द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए हिमालयी क्षेत्र के कृषि-पारिस्थितिकी में उच्च श्रेणी के मौलिक अनुसंधान को शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके संबोधन में अंतराल विश्लेषण, गतिविधियों की प्राथमिकता और नई चुनौतियों के समाधान के माध्यम से प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया गया। उपभोक्ता वरीयता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. महापात्र ने कार्यात्मक पोषण संबंधी लक्षणों पर साक्ष्य बनाने और छोटे बाजरा उत्पादों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने के लिए ब्रांडिंग करने का आग्रह किया।
महानिदेशक ने इस अवसर पर किसानों को वीएल बायोएजेंट 15 को बढ़ावा देने वाले चारकोल आधारित शीत सहिष्णु संयंत्र विकास (कोल्ड टॉलरेंट प्लांट ग्रोथ) के साथ-साथ संस्थान द्वारा विकसित 3 नई जारी किस्मों - वीएल क्यूपीएम हाइब्रिड 59, वीएल मंडुआ 382 और वीएल चेरी टमाटर 1 को भी समर्पित किया।
स्वामी श्री ध्रुवेशनन्द जी महाराज, अध्यक्ष, राम कृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा, उत्तराखंड ने निकट भविष्य में वैज्ञानिक कृषि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में डॉ. लक्ष्मी कांत, निदेशक, भाकृअनुप-वीपीकेएएस, अल्मोड़ा ने संस्थान के इतिहास, लक्ष्यों और पिछले वर्ष के दौरान प्राप्त उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
(स्रोत: भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखंड)
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