पौध किस्मों एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

पौध किस्मों एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

27 अगस्त, 2025, बारामूला

भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, बारामूला में भाकृअनुप-केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर द्वारा भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, बारामूला के सहयोग से पौध किस्मों एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (पीपीवी एवं एफआरए) पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों, प्रसार अधिकारियों तथा वैज्ञानिकों को किस्म संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित करना था, जिसमें जम्मू एवं कश्मीर की प्रमुख फसलों, जैसे- सेब, अखरोट, बादाम, केल, प्राण और खुबानी, पर विशेष जोर दिया गया।

Awareness Programme on Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act Organised

डॉ. एस. राजन, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अखरोट और सेब जैसी फल फसलों में, जो मुख्यतः अंकुर मूल की होती हैं, प्रत्येक पौधे को एक किस्म माना जा सकता है और इसलिए वह पीपीवी एवं एफआरए के तहत संरक्षण के लिए पात्र है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसान अनिवार्य रूप से प्रजनक हैं, क्योंकि किस्मों का चयन कृषि पद्धतियों का अभिन्न अंग है। 'दशहरी' आम जैसे प्रतिष्ठित उदाहरणों का हवाला देकर यह दर्शाया गया कि कैसे किसान-नेतृत्व वाले चयन ने पूरे उद्योग जगत को बदल दिया है। डॉ. राजन ने जैव विविधता के संरक्षण तथा आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए अखरोट और सेब के अनूठे चयनों का दस्तावेजीकरण एवं पंजीकरण करने का भी आग्रह किया।

इस कर्यक्रम में किस्मों की पहचान, दस्तावेजीकरण तथा व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से पंजीकरण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया। प्रतिभागियों को केवीके वैज्ञानिकों, राज्य स्तरीय विभागों तथा भाकृअनुप-सीआईटीएच, श्रीनगर के सहयोग से अनूठे किस्मों के पंजीकरण के आर्थिक अवसरों के बारे में बताया गया। किसान-नेतृत्व वाले व्यावसायिक मॉडल स्थापित करने हेतु प्रसार के माध्यम से रोपण सामग्री विकसित करने के महत्व पर भी ज़ोर दिया गया।

पीपीवी एवं एफआरए के तहत सरकारी प्रावधानों को प्रतिभागियों के साथ साझा किया गया, जिसमें किसानों की किस्मों के लिए एक वर्ष की छोटी परीक्षण अवधि (वैज्ञानिकों के लिए दो वर्ष की तुलना में) और वैज्ञानिकों पर लागू ₹50,000 शुल्क के विपरीत, किसानों के लिए पंजीकरण शुल्क में छूट शामिल है। शीतोष्ण फल विविधता के संरक्षण और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जर्मप्लाज्म के दस्तावेजीकरण को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

Awareness Programme on Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act Organised

इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-सीआईटीएच, श्रीनगर तथा भाकृअनुप-केवीके, बारामूला के वैज्ञानिकों, कृषि विस्तार अधिकारियों (एईओ), बागवानी विकास अधिकारियों (एचडीओ) तथा बारामूला जिले के नवोन्मेषी किसानों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। एक संवादात्मक सत्र में सार्थक चर्चा, विचारों का आदान-प्रदान और प्रश्नों के स्पष्टीकरण की सुविधा प्रदान की गई, जिससे किस्मों के संरक्षण में शामिल व्यावहारिक कदमों के बारे में जागरूकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

इस कार्यक्रम ने कृषक समुदाय और क्षेत्रीय अधिकारियों को पीपीवी तथा एफआरए के तहत जम्मू एवं कश्मीर में अखरोट तथा सेब की समृद्ध विविधता के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता के प्रति जागरूक किया। इसने किसानों को किस्म पंजीकरण को न केवल एक संरक्षण पहल के रूप में, बल्कि सतत आय सृजन के एक संभावित मार्ग के रूप में देखने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, बारामूला)

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