फसल अवशेष प्रबंधन हेतु वैज्ञानिक-किसान संवाद का आयोजन

फसल अवशेष प्रबंधन हेतु वैज्ञानिक-किसान संवाद का आयोजन

14 अक्टूबर, 2025, लुधियाना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना ने आज अपने परिसर में 'फसल अवशेष प्रबंधन पर किसान-वैज्ञानिक संवाद' का आयोजन किया।

डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप और डॉ. एस.एन. झा, उप-महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी), भाकृअनुप, सह-अध्यक्ष थे।

Scientist-Farmer Interaction on Crop Residue Management Organised

डॉ. जाट ने विभिन्न रणनीतियों तथा विकल्पों के संदर्भ में शून्य फसल अवशेष जलाने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने फसल अवशेष जलाने के पक्ष में भ्रामक प्रचार के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से फसल अवशेष जलाने की संभावना वाले क्षेत्रों में, प्रत्येक संयुक्त कटाई-सह-थ्रेसिंग मशीन के साथ अनिवार्य रूप से फसल अवशेष जलाना सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने पर बल दिया। डॉ. जाट ने सुपर सीडर जैसी मशीनों पर सब्सिडी की समीक्षा करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जो जलाने को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार पाई गई हैं। उन्होंने इस वर्ष फसल अवशेष जलाने की रोकथाम हेतु कानून-व्यवस्था बनाए रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर संतोष व्यक्त किया।

डॉ. राजबीर सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन को रोकने हेतु राष्ट्रीय पहल के तहत सब्सिडी वाली मशीनों के कम उपयोग पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में विभिन्न गड़बड़ियों की निगरानी की आवश्यकता पर भी बल दिया। डॉ. सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्रों की सक्रिय भागीदारी में फसल अवशेष जलाने के मिशन शून्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।

डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना, डॉ. एम.एस. भुल्लर, निदेशक, विस्तार शिक्षा, पीएयू, लुधियाना और डॉ. आर.एस. ग्रेवाल, निदेशक, विस्तार शिक्षा, जीएडीवीएएसयू, लुधियाना इस कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट प्रतिभागियों में शामिल थे।

Scientist-Farmer Interaction on Crop Residue Management Organised

इससे पहले, डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप अटारी, लुधियाना, ने हाल के दिनों में भाकृअनुप जोन-1 में की गई गतिविधियों का अवलोकन प्रस्तुत किया। डॉ. श्योराण ने अटारी लुधियाना और जोन - 1 के कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रशासनिक दक्षता में सुधार के लिए की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला।

विभिन्न प्रगतिशील किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन पर अपने अनुभव साझा किया तथा इस दिशा में प्रयास को और मज़बूत करने हेतु नीतिगत आवश्यकताओं पर ज़ोर दिया। छोटे किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों पर पूर्ण सब्सिडी का प्रावधान किसानों की प्रमुख मांगों में से एक था।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)

×