12 जुलाई, 2022, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, भारतीय कृषि-आर्थिक अनुसंधान केंद्र और भारतीय किसान संघ के सहयोग से राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, नई दिल्ली में 22 - 23 जुलाई, 2022 तक "स्वदेशी और वैश्विक समृद्धि के लिए भारतीय कृषि का योगदान" पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। श्री तोमर ने ऐसे प्रयास पर जोर दिया जो किसानों की उत्पादन लागत को कम करे और बाजारों तक उनकी आसान पहुंच बनाने में मदद कर सके। केंद्रीय मंत्री ने देश के सीमांत किसानों के लिए 10,000 किसान उत्पादक संगठन स्थापित करने की भारत सरकार की पहल पर जोर दिया। श्री तोमर के संबोधन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दलहन के पर्याप्त उत्पादन में परिषद की उपलब्धि पर प्रकाश डाला गया। श्री तोमर ने कहा "देश, जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है और इस खेती के तहत क्षेत्र बढ़ रहा है"। केंद्रीय मंत्री ने गुणवत्तापूर्ण उत्पादन तथा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।
श्री मनीष गोबिन, महान्यायवादी और कृषि-उद्योग एवं खाद्य सुरक्षा मंत्री, मॉरीशस सरकार ने कृषि ज्ञान साझा करने के लिए दोनों देशों के कृषि संस्थानों के बीच प्रौद्योगिकियों के प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि, कृषि पद्धतियों (प्रौद्योगिकियों) के विस्तार के लिए दोनों देशों का एक साझा लक्ष्य होना चाहिए।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा 7 उपग्रहों की मदद से पराली जलाने की निगरानी की जै रही है, इस निगरानी में परिषद के वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिक है। महानिदेशक ने, पूसा बासमती 1121, चावल किस्म की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसने वैश्विक बाजार में चावल के निर्यात में लगभग 95% योगदान दिया है। डॉ. महापात्र ने इस बात पर जोर दिया कि भाकृअनुप विभिन्न फैलोशिप के माध्यम से विदेशी छात्रों को आकर्षित कर रहा है और विभिन्न देशों के साथ शिक्षा अनुसंधान और विस्तार के संबंध भी विकसित कर रहा है। महानिदेशक ने कहा कि मॉरीशस सरकार के संबंधित विभागों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) करके भाकृअनुप को बहुत खुशी होगी।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन सचिव, श्री दिनेश कुलकर्णी ने देश में हरित, श्वेत और पीली क्रांतियों को बढ़ावा देने के लिए भाकृअनुप के योगदान की सराहना की। उन्होंने कृषि पद्धतियों को व्यवसाय के अवसरों के रूप में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री कुलकर्णी ने स्वदेशी और पारंपरिक ज्ञान को मुख्य धारा में लाने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि हालांकि कृषि के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान कम हुआ है; लेकिन, इसकी आच्छादन बढ़ गई है और 50% से अधिक आबादी इसमें शामिल है।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने स्वागत संबोधन में देश में युवा एवं नवोदित कृषि-उद्यमियों द्वारा आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाये जाने को रेखांकित किया। डॉ. सिंह ने देश में कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों द्वारा अपनाये जा रहे बायोफोर्टिफाइड किस्मों के विकास पर प्रकाश डाला। डीडीजी ने कहा, "परिषद विभिन्न इलाकों में भिन्न-भिन्न किस्मों के उत्पादन के लिए काम कर रहा है।"
विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता एवं पद्मश्री, डॉ रतन लाल, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी ने भी इस अवसर पर वर्चुअल रूप से जुड़कर विचार-विमर्श किया।
डॉ. जलपति राव, अखिल भारतीय अध्यक्ष, बीएईआरसी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें