15-16 फरवरी, 2023, कोलकाता
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता ने फरवरी माह के दौरान जोन - V के तहत ओडिशा (17 केवीके), पश्चिम बंगाल (16 केवीके) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (1 केवीके) के कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए एक कार्यशाला-सह-क्षमता निर्माण कार्यक्रम 15-16 फरवरी, 2023 को पश्चिम बंगाल पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता में आयोजित किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य "केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती की आउटस्केलिंग" नामक परियोजना की गतिविधियों, कार्य योजना, धन के उपयोग आदि की प्रगति पर चर्चा करना था।

प्रो. टी.के. मंडल, कुलपति, डब्ल्यूबीयूएएफएस, कोलकाता ने एक हरा-भरा और गौरवशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए प्राकृतिक कृषि घटकों के रणनीतिक कार्यान्वयन के लिए इस क्षेत्र के वैज्ञानिकों से आग्रह किया। उन्होंने खेती की लागत को कम करने और उर्वरक की बढ़ती जरूरतों को रोकने तथा सब्सिडी के बोझ को कम करने में मदद करने के लिए, प्राकृतिक खेती के माध्यम से कृषि स्थिरता के अभिनव मॉडल तथा रणनीति बनाने का आग्रह किया।
डॉ. पी. डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, लिंग भागीदारी, उत्पादन की घटती लागत, और कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र के 3-एफ अर्थात खेत-किसान-खेती को जोड़ कर उत्पादन बढ़ाने के महत्व को संबोधित किया।
प्रो. जी.एन. चट्टोपाध्याय, एमेरिटस प्रोफेसर, सीकॉम स्किल्स यूनिवर्सिटी ने हमारे देश की बढ़ती आबादी की खाद्यान्न मांग को पूरा करने के लिए संसाधनों के कृषि प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. पी.के. पाल, डीईई, यूबीकेवी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्राचीन समय से प्राकृतिक खेती हमारी भारतीय सभ्यता में समाहित है और अब इसके पुनर्जन्म का समय आ गया है।
इससे पहले, डॉ. एफ.एच. रहमान, प्रधान वैज्ञानिक तथा परियोजना के नोडल अधिकारी, भाकृअनुप-अटारी कोलकाता ने इस परियोजना के जन जागरूकता अभियान और फसल प्रदर्शन मॉड्यूल में विभिन्न केवीके की भूमिका की सराहना की। उन्होंने केवीके की, अब तक की, प्रमुख उपलब्धियों एवं भौतिक-वित्तीय प्रगति पर भी प्रकाश डाला।
सभी केवीके ने इस प्राकृतिक कृषि परियोजना के तहत संचालित गतिविधियों की अपनी प्रगति प्रस्तुत की।
इस प्रकार, 34 केवीके के प्रमुखों के साथ-साथ संबन्धित केवीके के नोडल एसएमएस ने कार्यशाला में भाग लिया।
(स्रोत भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)







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