भाकृअनुप-एनआरसीएसएस, अजमेर ने उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत कोरापुट क्षेत्रों में बीज मसालों की शुरुआत की

भाकृअनुप-एनआरसीएसएस, अजमेर ने उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत कोरापुट क्षेत्रों में बीज मसालों की शुरुआत की

भाकृअनुप-राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीएसएस), अजमेर ने बीज  मसाले के अनुसंधान और विकास में शामिल एक शीर्ष संगठन है। संस्थान ने बीज मसाले में विभिन्न तकनीकों जैसे उत्पादन तकनीकों, जैविक खेती और कटाई के बाद की तकनीकों का विकास किया है।

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कोरापुट, ओडिशा जो एक आदिवासी और आकांक्षी जिला है, जिसमें अनुकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण बीज  मसाले  की खेती के लिए काफी संभावनाएं हैं।

भाकृअनुप-एनआरसीएसएस ने "ओडिशा में कोरापुट जिले के किसानों की आजीविका में सुधार के लिए बीज मसाले आधारित विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के माध्यम से उद्यमिता विकास" परियोजना के तहत इस क्षेत्र में फसलों को पेश करने की पहल की।

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परियोजना के पहले चरण में, आठ बीज मसाले की 14 विभिन्न किस्मों के प्रदर्शन के माध्यम से इन फसलों की खेती की व्यवहार्यता का आकलन किया जाएगा।

अगले चरणों में आदिवासी किसानों को भाकृअनुप-एनआरसीएसएस द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों जैसे जैविक खेती, कटाई के बाद मूल्यवर्धन और बीज  मसाले के बीज उत्पादन पर प्रदर्शन और प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा उन्हें विपणन एजेंसियों के साथ जोड़ा जाएगा, ताकि उनमें उद्यमिता कौशल विकसित किया जा सके।

यह परियोजना, भाकृअनुप - भाकृअनुप-भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, कोरापुट; एआईसीआरपी मसाले; ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी और ओडिशा रूरल डेवलपमेंट एंड मार्केटिंग सोसायटी के सहयोग से क्रियान्वित की जाएगी।

भाकृअनुप-एनआरसीएसएस के वैज्ञानिकों और सहयोगी संगठन की एक टीम ने विभिन्न किसानों के खेतों का दौरा किया और बीज  मसाले की खेती के लिए 80 आदिवासी किसानों का चयन किया।

आज इन फसलों की खेती को प्रदर्शित करने के लिए भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी, क्षेत्रीय केन्द्र, कोरापुट में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बीज मसाले के गुणवत्तापूर्ण बीज भी किसानों के बीच वितरित किए गए।

डॉ. एस.एन. सक्सेना, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीएसएस ने कहा कि इस क्षेत्र में रसायन मुक्त बीज  मसाले के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिनका आने वाले समय में प्रत्यक्ष निर्यात मूल्य होगा।

प्रशिक्षण और प्रदर्शन का आयोजन भाकृअनुप-एनआरसीएसएस, अजमेर के वैज्ञानिकों के साथ-साथ भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी, क्षेत्रीय केन्द्र, कोरापुट के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था।

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