भाकृअनुप-रेपसीड-सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर में ऑनलाइन सहयोगात्मक प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन

भाकृअनुप-रेपसीड-सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर में ऑनलाइन सहयोगात्मक प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन

22 अगस्त, 2022, भरतपुर

भाकृअनुप-तोरी-सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर ने आज यहां "अर्ध-शुष्क क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए कृषि आधारित तकनीकी हस्तक्षेप पर ऑनलाइन सहयोगात्मक प्रशिक्षण" विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आज उद्घाटन किया।

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यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), राजेंद्रनगर, हैदराबाद (तेलंगाना), कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है।

मुख्य अतिथि एवं वक्ता, डॉ. एस.एन. सक्सेना, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएसएस), अजमेर ने उपभोक्ता के अर्जित मूल्य में उत्पादक की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में कृषि-उद्यमिता के अवसरों को व्यक्त करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करने तथा भाकृअनुप-डीआरएमआर और मैनेज, हैदराबाद के प्रयासों की सराहना की, जो समय की जरूरत है। उन्होंने आग्रह किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता के विकास के लिए कृषि उत्पादन मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

अपने उद्घाटन संबोधन में, डॉ. ए.के. शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और प्रसार अनुभाग, भाकृअनुप-डीआरएमआर, भरतपुर ने संस्थान में उपलब्ध तकनीकी हस्तक्षेपों और आजीविका सुरक्षा और विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए कृषि व्यवसाय क्षेत्र को आगे के विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के संदर्भ में रेपसीड की खेती के महत्व के बारे में जानकारी दी जहां किसान अपनी आजीविका के लिए वर्षा आधारित खेती पर निर्भर हैं।

डॉ. बी. रेणुका रानी, उप निदेशक, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद ने रोजगार के अवसर पैदा करने में नए प्लेटफार्मों, संस्थागत व्यवस्था (एफपीओ, एसएचजी और जेएलजी) और गतिविधियों के दायरे के बारे में जानकारी दी, जो प्रवासन की समस्या को कम करन में मददगार होगी। उन्होंने उद्यमिता विकास के माध्यम से मूल्य संवर्धन गतिविधियों का सुझाव दिया। वैश्विक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने कहा कि कृषि-प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन, खाद्य निर्माण और अन्य महत्वपूर्ण कृषि समर्थन सेवाओं जैसे गैर-कृषि क्षेत्र, फसल के बाद के नुकसान में कमी और कृषि-व्यवसाय को बढ़ावा देने से आय बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कार्यशाला के तहत, राज्य कृषि विश्वविद्यालय, किसान उत्पादक संगठन, संघों, गैर सरकारी संगठनों आदि सहित 53 संगठनों के कुल 128 अधिकारियों / वैज्ञानिकों / सहायक प्रोफेसरों / सीईओ / अध्यक्षों / सचिव / छात्रों / अनुसंधान विद्वानों ने पंजीकरण कराया है।

यह कार्यक्रम, विस्तार कार्यकर्ताओं के बीच कृषि प्रौद्योगिकी दूरदर्शिता को स्थापित करने में सहायक होगा ताकि नए उद्यमियों को ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म दोनों में आयोजित वाणिज्यिक गतिविधियों में सहायता की जा सके।

 (स्रोत: भाकृअनुप-तोरी-सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर)

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