10 सितम्बर, 2022, मेरठ
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ में आज जोन-III के कृषि विज्ञान केंद्रों की 29वीं वार्षिक जोनल कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि, उत्तर प्रदेश के मंत्री (कृषि, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा), श्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र किसानों के लिए संसाधन संरक्षण मॉडल विकसित करें। उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिक के रूप में केवीके को किसान तक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के प्रसार में तेजी लानी चाहिए। उन्होंने कहा स्प्रिंकलर और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम पर और काम करने की जरूरत है। साथ ही बहुउद्देशीय खेती समय की जरूरत है। श्री शाही ने आग्रह किया कि वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन पर आधारित नई तकनीक के साथ आगे आना चाहिए और आने वाली चुनौतियों का समाधान करना चाहिए।

मंत्री ने प्रकाशनों का विमोचन भी किया और नवोन्मेषी किसानों और अन्य प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा कि भारत ने पिछले 75 वर्षों में कृषि में अभूतपूर्व प्रगति की है। उन्होंने कहा कि भारी आबादी के लिए भोजन उपलब्ध कराने के अलावा, भारत अन्य देशों को कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहा है। डॉ. पाठक ने जोर देकर कहा कि विज्ञान को सही परिप्रेक्ष्य में प्रदर्शन करना चाहिए और केवीके सहित अन्य विस्तार प्रणालियां इस काम को अंजाम दे रही हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रकृति के अनुकूल खेती और आधुनिक कृषि को मिलाकर एक कृषि मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है जो उत्पादक, लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल हो। डॉ. पाठक ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई नई किस्मों एवं संबंधित तकनीकों को कृषक समुदाय में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। महानिदेशक ने आग्रह किया कि केवीके को जिले में एक प्रभावी मॉडल के रूप में सामने आना चाहिए, जिसके लिए अब अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने टिप्पणी की कि फसल के विविधीकरण के साथ-साथ वर्षा की मात्रा कम होने के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में गेहूं की जल्दी बुवाई इस वर्ष महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि केवीके, एसएयू और भाकृअनुप संस्थानों को 300 ड्रोन शीघ्र ही उपलब्ध कराए जाएंगे। डॉ. सिंह ने जोड़ देते हुए कहा ड्रोन की खरीद और पायलट को प्रशिक्षण देने और ड्रोन परियोजना के तहत प्रदर्शनों का संचालन करने से संबंधित नियमों और विनियमों का ठीक से पालन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फसल कैफेटेरिया केवीके का चेहरा है और इसे प्रत्येक केवीके में अच्छी तरह से बनाकर रखा जाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि, कैप्टन विकास गुप्ता, चेयरमैन यूपीसीएआर और डॉ. संजय सिंह, डीजी, यूपीसीएआर ने भी सभा को संबोधित किया।
डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति, एसवीपीयूएटी मेरठ ने कहा कि प्राकृतिक कृषि परियोजना के तहत प्रत्येक केवीके में 1 हेक्टेयर क्षेत्र में इसका प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि जिले में लोकप्रिय बनाने के लिए प्रत्येक वैज्ञानिक के पास एक उत्पाद होना चाहिए। डॉ. सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फूलों और सब्जियों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में कम चारे की उपलब्धता की समस्या को कम करने, महिला अध्ययन केंद्र खोलने और ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण देने पर काम करने की जरूरत है.
डॉ. यू.एस. गौतम, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि वैज्ञानिकों ने किसानों की आय दोगुनी करने की कुल 75000 किसानों की सफलता की कहानियां को कुशलता पूर्वक एकत्र किया, संकलित किया और प्रकाशित भी किया। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने 32 केवीके में ड्रोन के लिए बजट स्वीकृत किया है और 52 केवीके प्राकृतिक कृषि परियोजना के लिए चुने गए हैं।
डॉ. पी.के. सिंह, निदेशक विस्तार, एसवीपीयूएटी, मेरठ ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के सभी 89 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-अटारी, जोन III, कानपुर)








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