11 दिसंबर, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप–भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, और आईसीआईसीआई फाउंडेशन फॉर इंक्लूसिव ग्रोथ, मुंबई ने तेलंगाना, कर्नाटक और उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मजबूत करने और छोटे किसानों को ऊपर उठाने के लिए एक रणनीतिक एमओयू पर हस्ताक्षर किया।
एमओयू को डॉ. सी. तारा सत्यवती, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएमआर और श्री वेंकटेश बी. के., फाउंडेशन के हेड – ऑपरेशंस (दक्षिण और पूर्वी भारत), आईसीआईसीआई, की उपस्थिति में औपचारिक रूप दिया गया। एसएफएसी, नबार्ड, एनसीडीसी तथा कर्नाटक सरकार के सहयोग से भाकृअनुप-आईआईएमआर द्वारा बढ़ावा दिए गए कुल 20 एफपीओ को इस पहल से फायदा होगा।
यह सहयोग आधुनिक मशीनरी और वैल्यू-एडिशन सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) तथा बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने पर केन्द्रित है। ये यूनिट किसानों को श्रम पर निर्भरता कम करने, उत्पादन लागत कम करने, परिचालन दक्षता में सुधार करने और सफाई, ग्रेडिंग, मिलिंग एवं पैकेजिंग जैसी गतिविधियों के माध्यम से बेहतर बाजारों तक पहुंचने में मदद करेगा।

साझेदारी का एक मुख्य आकर्षण श्री अन्न के लिए दुनिया का पहला इंटीग्रेटेड हाइपरस्पेक्ट्रल-थर्मल फेनोटाइपिंग प्लेटफॉर्म का विकास है, जिसे भाकृअनुप-आईआईएमआर में स्थापित किया जाएगा। यह अत्याधुनिक प्रणाली उपज, पोषण एवं जलवायु लचीलेपन से संबंधित सूक्ष्म पौधों की विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए उन्नत इमेजिंग, सेंसिंग और एनालिटिक्स के साथ जोड़ने का काम करेगा। जटिल फसल विशेषताओं के वास्तविक समय, गैर-आक्रामक मूल्यांकन को सक्षम करके, इस प्लेटफॉर्म से बेहतर श्री अन्न किस्मों के प्रजनन में तेजी आने और श्री अन्न अनुसंधान में भारत के वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने की उम्मीद है।
यह पहल कृत्रिम मेधा (AI)-संचालित श्री अन्न अनुसंधान और सटीक कृषि के लिए भी आधार तैयार करती है। बड़े पैमाने पर फेनोमिक्स एवं जीनोमिक्स डेटासेट का विश्लेषण करने, उच्च प्रदर्शन वाली किस्मों की भविष्यवाणी करने, खेत पर निर्णय लेने में सुधार करने तथा प्रजनन चक्र को छोटा करने के लिए कृत्रिम मेधा का उपयोग किया जाएगा। समय के साथ, यह परियोजना उन्नत कृत्रिम मेधा मॉडल, निर्णय-समर्थन उपकरण और समृद्ध डेटासेट प्रदान करेगी, जबकि किसानों, शोधकर्ताओं और उद्योग हितधारकों के बीच मजबूत सहयोग को बढ़ावा देगी।
क्षेत्रीय स्तर पर, सीएचसी और प्रोसेसिंग यूनिट से आवश्यक कृषि मशीनरी तक समय पर पहुंच प्रदान करके, मेहनत कम करके, भूमि की तैयारी और कटाई दक्षता में सुधार करके, साथ ही मूल्य वर्धित कृत्रिम मेधा उत्पादों के माध्यम से लाभप्रदता बढ़ाकर परिवर्तनकारी प्रभाव डालने की उम्मीद है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर एफपीओ को ज़्यादा आत्मनिर्भर बनाएगा, मार्केट लिंकेज को मजबूत करेगा, और किसानों को बेहतर और टिकाऊ खेती के तरीके अपनाने में मदद करेगा।
लंबे समय में, यह पार्टनरशिप किसान परिवारों को ऊपर उठाने, आर्थिक मजबूती लाने, पर्यावरण के अनुकूल श्री अन्न की खेती को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है।
(स्रोत: भाकृअनुप–भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)







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