29 अगस्त, 2025, बीकानेर
भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित ‘पशु अनुवांशिक संसाधनों पर नेटवर्क परियोजना’ के अंतर्गत ‘‘दुधारू उष्ट्र के प्रबंधन एवं उष्ट्र डेयरी में उद्यमिता विकास’’ विषय पर दो पांच-पांच दिवसीय प्रशिक्षण (18–22 अगस्त एवं 25-29 अगस्त) सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि, श्री रमेश कुमार ताम्बिया, जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड ने उष्ट्रपालकों को एफपीओ एवं संयुक्त देयता समूह बनाने की पहल की। उन्होंने घटती उष्ट्र संख्या की रोकथाम तथा मादा उष्ट्र के औषधीय दूध की बढ़ती वैश्विक मांग से जुड़ी संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. अनिल कुमार पूनिया, निदेशक, एनआरसीसी ने कहा कि प्रशिक्षणों के माध्यम से विषय-विशेषज्ञों से प्राप्त ज्ञान व जानकारी को उष्ट्र पालक अपने व्यवसाय में अपनाएं। उन्होंने कहा कि उष्ट्रपालन व्यवसाय को टिकाऊ और लाभकारी बनाने हेतु वैज्ञानिक नवाचार, मूल्य संवर्धन तथा प्रभावी विपणन आवश्यक है। डॉ. पूनिया ने कहा कि मादा उष्ट्र के दूध के औषधीय गुणों को वैश्विक पहचान दिलाना केन्द्र की प्राथमिकता है साथ ही उष्ट्र उत्पादों की बाजार में उपलब्ध मांग का लाभ किसानों एवं उष्ट्रपालकों को अवश्य उठाना चाहिए।
डॉ. एस.सी. मेहता, विभागाध्यक्ष, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर, डॉ. बीरबल मील, प्रधान वैज्ञानिक, काजरी, बीकानेर और डॉ. समर कुमार घौरूई, प्रधान वैज्ञानिक, एनआरसीसी ने उष्ट्र पालकों को छोटे-2 संसाधनों का उपयोग कर उष्ट्र डेयरी उद्यमिता शुरू कर लाभ कमाने, मादा उष्ट्र का दूध, पर्यटन विकास आदि नए वैकल्पिक आयामों से उष्ट्र पालन व्यवसाय को सुदृढ़बनाने, पशु पालकों के कल्याणार्थ कैमल बोर्ड की स्थापना करने जैसे पहलुओं पर अपनी बात रखी।
नेटवर्क परियोजना के प्रधान अन्वेषक,डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि इस परियोजना के तहत मेवाड़ी, मेवाती और मालवी उष्ट्र नस्ल के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु उष्ट्रपालकों को सशक्त बनाने का प्रयास किया जारहा है।
फीड बैक सत्र में प्रगतिशील पशुपालकों, श्री भंवरलाल, श्री नरेशरेबारी, श्री लीलूराम रेबारी, श्री नरेन्द्र एवं श्री महेन्द्र ने बताया कि इस प्रशिक्षण से उष्ट्र की स्वास्थ्य देखभाल, नस्ल पहचान, आहार व चारा विकास, दूध से बने उत्पादों तथा वर्मी कम्पोस्ट निर्माण संबंधी व्यावहारिकजानकारी मिली, जो उनके व्यवसाय के लिए अत्यंत उपयोगीसिद्ध होगी। प्रशिक्षुओं ने उष्ट्र पालन में आ रही चुनौतियों के समाधान हेतुएनआरसीसी के सहयोग की सराहना भी की।
समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रमों में, राजस्थान (झालावाड़, बारां, अलवर, भरतपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर) तथा मध्यप्रदेश (मंदसौर, नीमच) के 17 उष्ट्रपालकों ने शिरकत की।
(भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
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