भाकृअनुप-एनबीएआईआर ने भारत में कसावा मिलीबग के बायोलॉजिकल कंट्रोल में दिखाई सफलता

भाकृअनुप-एनबीएआईआर ने भारत में कसावा मिलीबग के बायोलॉजिकल कंट्रोल में दिखाई सफलता

13 नवंबर, 2025, बेंगलुरु

भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु ने आज तमिलनाडु के नमक्कल ज़िले के रासीपुरम में एक बड़ा ‘कसावा फ़ील्ड डे’ ऑर्गेनाइज किया। इसमें कसावा मिलीबग (फेनाकोकस मनिहोटी) के बायोलॉजिकल कंट्रोल में भारत की बड़ी कामयाबी पर ज़ोर दिया गया। इस इवेंट में इसके असरदार पैरासाइटॉइड, एनागाइरस लोपेज़ी को लाने के असर का जश्न मनाया गया, जिसने एक गंभीर कीट के प्रकोप के बाद पूरे दक्षिण भारत में कसावा की खेती को फिर से ज़िंदा कर दिया।

इस इवेंट में कई जाने-माने लोग मौजूद थे, जिनमें श्री वी.एस. मथेश्वरन, संसद सदस्य (नमक्कल); श्री के. आर.एन. राजेशकुमार, संसद सदस्य (राज्यसभा); डॉ. वी.एस. मथिवेंथन, आदि द्रविड़ वेलफेयर मंत्री, तमिलनाडु सरकार; श्री ए.के.पी. चिनराज, पूर्व संसद सदस्य (नमक्कल); और डॉ. पूनम जसरोटिया, सहायक महानिदेशक (पीपी एवं बी), भाकृअनुप, नई दिल्ली, शामिल थे।

ICAR–NBAIR Showcases Breakthrough in Biological Control of Cassava Mealybug in India

मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में, श्री माथेस्वरन ने किसानों की तारीफ की कि उन्होंने समय पर पैरासाइटॉइड्स छोड़े, जिससे कसावा की पैदावार 30-35 टन प्रति हैक्टर तक वापस आ गई। उन्होंने कहा कि जीववैज्ञानिक नियंत्रण की इस कोशिश से इलाके के किसानों के करोड़ों रुपये बचे हैं।

पूर्व सांसद, श्री ए.के.पी. चिनराज ने भाकृअनुप की तारीफ करते हुए कहा कि यह भारतीय खेती को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पारदर्शी तथा समर्पित संस्थानों में से ए एक है।

श्री राजेशकुमार, सांसद (राज्यसभा) ने भी किसानों तक यह टेक्नोलॉजी पहुंचाने के लिए भाकृअनुप-एनबीएआईआर की तारीफ़ की और बताया कि उन्हें भी इस प्रोग्राम से फायदा हुआ है।

डॉ. वी. एस. मैथिवेंथन ने भाकृअनुप-एनबीएआईआर की कोशिशों की तारीफ़ की तथा तमिलनाडु की कसावा फ़सलों को बचाने में पैरासाइटॉइड्स की अहम भूमिका को माना।

डॉ. पूनम जसरोटिया ने आईआईटीए, बेनिन से एनागाइरस लोपेज़ी मंगाने और ऑर्गेनिक खेती के सिद्धांतों के साथ एक सफल मास-प्रोडक्शन प्रोटोकॉल बनाने के लिए भाकृअनुप-एनबीएआईआर की तारीफ की। उन्होंने इस पहल को क्लासिकल बायोलॉजिकल कंट्रोल का एक बेहतरीन मॉडल बताया।

लोगों का स्वागत करते हुए, डॉ. एस.एन. सुशील, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएआईआर, ने राज्य के विभागों, साबूदाना इंडस्ट्री और दूसरे हितधारक के साथ पार्टनरशिप में लागू किए गए सफल क्लासिकल बायोलॉजिकल कंट्रोल प्रोग्राम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस इंटरवेंशन से बेनिफिट-कॉस्ट रेश्यो 0.857 से 1.525 तक काफी बेहतर हुआ है, जिससे सालाना ₹3,480 करोड़ का अनुमानित आर्थिक फायदा हुआ है। केमिकल जीवनासी पर निर्भरता कम होने से सालाना लगभग ₹286 करोड़ की बचत भी हुई है, जिससे कसावा सेक्टर पर प्रोग्राम के बदलाव लाने वाले असर की पुष्टि होती है।

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तमिलनाडु सरकार के कृषि और कृषि बागवानी केन्द्र, केन्द्रीय समेकित जीवनासी प्रबंधन केन्द्र, राज्य कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इसमें हिस्सा लिया।

इस इवेंट के हिस्से के तौर पर, एक एग्जीबिशन में कसावा की बेहतर वैरायटी और एडवांस्ड पेस्ट मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी दिखाई गईं, जिससे किसानों को उत्पादकता एवं फसल की मजबूती बढ़ाने के लिए आजमाए हुए सॉल्यूशन खोजने में मदद मिली।

इस प्रोग्राम में किसानों, साइंटिस्ट, पॉलिसी मेकर, इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों और अधिकारियों समेत 500 से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे वैज्ञानिक नवाचार तथा कम्युनिटी की भागीदारी ने कसावा की प्रोडक्टिविटी को फिर से ठीक किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु)

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