6 दिसंबर, 2025, लखनऊ
तमिलनाडु सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग ने पुलिकट (तिरुवल्लूर ज़िला) तथा पिचवरम (कुड्डालोर ज़िला) में आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के लिए भाकृअनुप–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस पहल का फोकस टिकाऊ जलजीव पालन से आय पैदा करने पर है।

इस कार्यक्रम के तहत, भाकृअनुप–एनबीएफजीआर के वैज्ञानिकों ने लाभार्थियों को पर्लस्पॉट कल्चर, केकड़ा पालन एवं क्लाउनफ़िश पालन में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी। पुलिकट के चेंची अम्मन नगर में विकसित क्लाउनफ़िश के लिए एक क्लस्टर-मोड पालन यूनिट का उद्घाटन आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किया। मुख्यमंत्री ने किलई तथा पिचवरम क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों के लिए आजीविका गतिविधियों की भी शुरुआत की, जिससे दोनों जिलों में कुल 200 प्रतिभागियों को फायदा होगा।
डॉ. काजल चक्रवर्ती, निदेशक, भाकृअनुप–एनबीएफजीआर, ने विभिन्न जल निकायों से जलीय जर्मप्लाज्म के संरक्षण के लिए संस्थान के लगातार प्रयासों पर ज़ोर दिया ताकि अंतर्देशीय और तटीय दोनों क्षेत्रों में टिकाऊ उपयोग और आजीविका में सुधार का समर्थन किया जा सके। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप–एनबीएफजीआर ने अन्नामलाई विश्वविद्यालय परिसर में क्लाउनफ़िश प्रजनन के लिए एक मास्टर सुविधा स्थापित की है, जिसमें बीज उत्पादन का लक्ष्य लाभार्थियों को पालन और उसके बाद मार्केटिंग के लिए आपूर्ति करना है।

और ज़्यादा जानकारी देते हुए, पीएजीआर, भाकृअनुप–एनबीएफजीआर के प्रमुख ने बताया कि व्यावसायिक व्यवहार्यता का समर्थन करने के लिए स्थानीय लाभार्थियों तथा एक्वेरियम व्यापारियों के बीच पहले ही बाजार संबंध बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा, केरल सरकार से प्राप्त जंगली पानी के केकड़े और पर्ल स्पॉट बीज तालाब संस्कृति और मार्केटिंग गतिविधियों के लिए आपूर्ति किए जाएंगे।
यह परियोजना तमिलनाडु सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा वित्त पोषित है और इसे भाकृअनुप–एनबीएफजीआर के द्वारा लागू किया जा रहा है।
(स्रोत: भाकृअनुप–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)







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