आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी, देहरादून ने 70वां स्थापना दिवस मनाया

आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी, देहरादून ने 70वां स्थापना दिवस मनाया

7 अप्रैल, 2023, देहरादून

भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईआईएसडब्ल्यूसी), देहरादून ने आज अपना 70वां स्थापना दिवस मनाया।

डॉ. आर.पी. सिंह, निदेशक, आईआईआरएस, देहरादून मुख्य अतिथि के रूप में शामिल थे। उन्होंने संस्थान के महत्व और प्रासंगिकता, इसकी अनुसंधान उपलब्धियों और राष्ट्र और प्रकृतिकी सेवा, विशेष रूप से मिट्टी और जल संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने इसके संस्थापकों, निदेशकों और दूरदर्शी वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा जिस संस्थान ने एक मजबूत नींव तैयार की, जिसकी प्रासंगिकता आज भी कायम है। उन्होंने आगे कहा कि संस्थान की अनुसंधान उपलब्धियों और योगदानों के कारण ही खाद्य उत्पादन और जल संसाधनों में आत्मनिर्भरता संभव हो रही है। खासकर तब, जब ‘मानवः संसाधन अनुपात तथा  मिट्टी पानीः मानव अनुपात’ जनसंख्या बढ़ने के कारण दबाव और मांग में बढ़ोत्तरी हो रही है।

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डॉ. एम. मधु, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी ने संस्थान की एक समग्र उपलब्धि और अनुसंधान के परिणाम में सुधार, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, किसान कल्याण और सामाजिक विकास की दिशा में हाल के पिछले और पिछले वर्ष के दौरान की गई नई पहलों को प्रस्तुत किया। उन्होंने खुलासा किया कि एक वैज्ञानिक-एक-उत्पाद, युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रतिबद्ध वित्तीय सहायता और भाकृअनुप की ऐसी अन्य नई पहलों को अनुसंधान आउटपुट और परिणामों को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त माना।

डॉ. चरण सिंह, प्रमुख, पादप विज्ञान और कार्यक्रम के आयोजन सचिव ने पादप विज्ञान प्रभाग की उपलब्धियों और भारत सरकार की एससी एसपी और टीएसपी योजनाओं जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला।

एचआरडी एंड एसएस के प्रमुख, डॉ. डी.वी. सिंह ने संसाधन प्रबंधकों, किसानों, अधिकारियों, योजनाकारों, छात्रों और शोधकर्ताओं सहित विभिन्न हितधारकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में हुई प्रगति और पहल पर बात की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में प्रशिक्षण प्रतिभागियों के प्रशिक्षण और इसके दायरे से राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

डॉ. डी. मंडल, प्रमुख, मृदा विज्ञान और कृषि विज्ञान ने अनुसंधान के परिणामों और प्रभाग द्वारा विकसित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और ज्ञान उत्पादों को प्रस्तुत किया। Co2 एनालाइजर, ड्रोन एप्लिकेशन और प्रतिस्पर्धी अनुदान जैसे आधुनिक उपकरणों के साथ अनुसंधान सुविधाओं में सुधार डिवीजन की प्रमुख उपलब्धियां थीं।

डॉ. एम. मुरुगनंदम, ओआईसी, पीएमई और के एम. यूनिट ने यूनिट के योगदान के बारे में जानकारी दी, जिसने संस्थान की वेबसाइट, ऑनलाइन पोर्टल, पुस्तकालय और अनुसंधान प्रलेखन सुविधाओं, प्रकाशनों, अनुसंधान आउटपुट आदि के अलावा संघर्ष समाधान और संस्थान के फेस-लिफ्टिंग में प्रगति की।

डॉ. श्रीधर पात्रा, प्रमुख, जल विज्ञान और इंजीनियरिंग ने जल संभर जल विज्ञान और संसाधन संरक्षण में प्रभाग में की गई नई पहलों और अनुसंधान उपलब्धियों पर बात की। डॉ. गोपाल कुमार, प्रधान वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान) और रमनजीत सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि) ने खेल आयोजनों का समन्वय किया, जिसमें वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, परिवार के सदस्यों और बच्चों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

डॉ. राजेश कौशल तथा डॉ. मातबर सिंह, डॉ. एम शंकर और डॉ. तृषा राय, पीआर वैज्ञानिकों ने अतिथियों स्वागत तथा समन्वय किया।

डॉ. सुरेश कुमार, विभागाध्यक्ष, आईआईआरएस और डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, निदेशक, सेवानिवृत, भाकृअनुप-वीपीएकेएस, अल्मोड़ा कार्यक्रम के गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे।

कार्यक्रम में संस्थान के 250 वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा विभिन्न संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, प्रेस एवं मीडिया तथा शिक्षा जगत के आमंत्रित अतिथियों के अलावा 60 ऑनलाइन प्रतिभागियों ने शिरकत की।

(स्रोतः भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून)

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