25 जुलाई, 2025, हैदराबाद
भारत में जैविक पशुधन उत्पादन एवं प्रमाणन: मुद्दे, अवसर और भविष्य की राह पर एक राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय मांस अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्कभूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के सहयोग से आयोजित की गई।
मुख्य अतिथि, प्रो. (डॉ.) एम. ज्ञान प्रकाश, कुलपति, पी.वी. नरसिम्हा राव तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, हैदराबाद ने जैविक पशुधन प्रणालियों में अनुसंधान एवं क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने में संस्थागत भूमिका के बारे में जानकारी दी।
अपने स्वागत संबोधन में, डॉ. एस.बी. बरबुद्धे, निदेशक और कार्यशाला के संयोजक, भाकृअनुप-एनएमआरआई ने स्थिरता, उपभोक्ता सुरक्षा और निर्यात क्षमता सुनिश्चित करने में जैविक पशुधन खेती की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिडा एवं कार्यक्रम के सह-संयोजक ने जैविक पशुपालन प्रणालियों में जलवायु लचीलेपन को एकीकृत करने हेतु अपने विचार प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

डॉ. जी.वी. रामंजनेयुलु, कार्यकारी निदेशक, सतत कृषि केन्द्र ने किसान-केन्द्रित नीतियों और सहभागी प्रमाणन प्रणालियों के महत्व पर बल दिया।
पद्मश्री पुरस्कार विजेता श्री वेंकटेश्वर राव यदलापल्ली ने अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए और जैविक पद्धतियों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यशाला में "जैविक पशुधन उत्पादन के लिए प्रमाणन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने" पर दो केन्द्रित तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें राष्ट्रीय प्रमाणन तंत्र, सहभागी गारंटी प्रणालियाँ और अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर प्रस्तुतियाँ और "जैविक प्रणालियों के अंतर्गत पशुधन का उत्पादन और स्वास्थ्य प्रबंधन" पर प्रस्तुतियाँ शामिल थीं, जिसमें स्थायी आहार पद्धतियों, निवारक स्वास्थ्य सेवा और पशु कल्याण पर प्रकाश डाला गया।
इसके बाद "भारत में जैविक पशुधन विकास के लिए नीतिगत ढाँचे" पर एक पैनल चर्चा हुई। प्रख्यात विशेषज्ञों और हितधारकों ने नियामक कमियों, बाज़ार संपर्क और किसान सहायता प्रणालियों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
यह कार्यशाला भारत में जैविक पशुधन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई और इसने भाकृअनुप संस्थानों, राज्य विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और प्रगतिशील किसानों के बीच सहयोगात्मक भावना को उजागर किया।
इस कार्यशाला में देश भर के विशेषज्ञ, नीति निर्माता, शोधकर्ता और हितधारक भारत में जैविक पशुधन उत्पादन को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आए। देश के विभिन्न हिस्सों से कुल 120 प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मांस अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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