कर्नाटक के अनुसूचित जाति के किसानों की आजीविका संवर्धन हेतु वर्मी कंपोस्टिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

कर्नाटक के अनुसूचित जाति के किसानों की आजीविका संवर्धन हेतु वर्मी कंपोस्टिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

22 फरवरी, 2024, मैंगलोर

भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी ने 21-22 फरवरी, 2024 को भाकृअनुप-केवीके, दक्षिण कन्नड़, मैंगलोर, कर्नाटक में अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 'वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन तकनीक' पर दो दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।

Training on Vermicomposting for Livelihood Enhancement of SC Farmers of Karnataka

डॉ. एम. बालकृष्णन, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, एससीएसपी, भाकृअनुप-नार्म, हैदराबाद, ने मृदा स्वास्थ्य एवं फसल उपज के लिए वर्मीकंपोस्टिंग के लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों से जैविक कार्बन प्रतिशत बढ़ाने के लिए पराली को मिट्टी में मिलाने का आग्रह किया। डॉ. बालकृष्णन ने किसानों के लिए वर्मीकंपोस्टिंग, नीम की खली और जैव-रोगनाशक जैसी पोषक तत्व प्रबंधन पद्धतियों को एकीकृत करने की सिफारिश की तथा बेहतर आय एवं स्वस्थ जीवन के लिए इन पद्धतियों को लागू करने के महत्व पर बल दिया।

डॉ. टी.जे. रमेशा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, भाकृअनुप-केवीके, मैंगलोर, ने कृषक समुदाय के लाभ के लिए केवीके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने तथा मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए कृषि में वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।

समापन सत्र में, प्रतिभागियों को पोर्टेबल वर्मीकम्पोस्ट इकाइयाँ और केंचुए वितरित किया गया।

किसानों ने सभी सत्रों में भाग लिया और उन्हें समृद्ध वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर शिक्षित किया गया।

सुल्लिया तालुका, दक्षिण कन्नड़ जिला, कर्नाटक के कुल 30 किसानों ने कार्यक्रम में भाग लिया और लाभान्वित हुआ।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद)

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