26 अक्टूबर, 2025, हिसार
‘लचीले तरीके से भैंस पालन के लिए आगे का रास्ता: क्लाइमेट स्मार्ट, सटीक तथा डिजिटल टेक्नोलॉजी को जोड़ने’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक, भाकृअनुप ने भाकृअनुप-केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार, में किया।
अपने उद्घाटन संबोधन में, डॉ. जाट ने डाटा का महत्व, डाटा इंटरऑपरेबिलिटी और भैंस पालन को मज़बूत करने के लिए पूरे सिस्टम हेतु एक तरीका अपनाने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिक तरक्की को समाज से जोड़ने तथा यह पक्का करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया कि पशुधन सेक्टर कॉम्पिटिटिव एवं भविष्य के लिए तैयार रहे।
डॉ. राघवेंद्र भट्टा, सहायक महानिदेशक (एनिमल साइंस), भाकृअनुप, ने जानवरों में जलवायु से जुड़ी बीमारियों के मामलों को सुलझाने और पशुधन की सतत हेल्थ के लिए उन्हें कम करने की स्ट्रेटेजी बनाने के महत्व पर ज़ोर दिया।
डॉ. राजबीर सिंह, सहायक महानिदेशक (एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन), भाकृअनुप, ने डिमांड आधारित रिसर्च, जमीनी स्तर पर इनोवेशन को वैलिड करने एवं रिसर्च तथा डेवलपमेंट इकोसिस्टम में इनोवेटिव किसानों को शामिल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
डॉ. यशपाल, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईआरबी, ने इंस्टीट्यूट के चल रहे रिसर्च प्रोग्राम तथा सतत भैंस पालन को बढ़ावा देने में हुई प्रोग्रेस की समीक्षा की।
डॉ. अरुण कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-सीएसडब्ल्यूआरआई; डॉ. परमेंद्र श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी; डॉ. बलदेव गुलाटी, निदेशक, भाकृअनुप-निवेदी तथा डॉ. टीके भट्टाचार्य, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीई, भी पैनेलिस्ट में शामिल थे।
पैनल डिस्कशन के तौर पर एक तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञों, किसानों तथा उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि ने भारत में जलवायु अनुकूल तथा तकनीकी आधारित भैंस पालन को बढ़ावा देने की स्ट्रेटेजी पर बातचीत की।
यह कार्य्रक्रम ‘डिजिटल सपोर्ट सिस्टम का इस्तेमाल करके क्लाइमेट स्मार्ट बफ़ेलो फार्मिंग’ प्रोजेक्ट के तहत आयोजित किया गया था, जिसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने आईआईटी, रुड़की तथा यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिलेड के साथ मिलकर फंड किया था।
यह वर्कशॉप इंडियन सोसाइटी ऑफ़ बफेलो डेवलपमेंट तथा भाकृअनुप-सीआईआरबी, हिसार ने मिलकर आयोजित की थी, जिसका मकसद बफ़ेलो फार्मिंग सिस्टम में जलवायु अनुकूल, सटीक तकनीकी और डिजिटल इनोवेशन को जोड़ने के लिए एक स्ट्रेटेजिक रोडमैप बनाना था।
इस वर्कशॉप में भारत के अलग-अलग इलाकों के 28 प्रोग्रेसिव किसानों ने सक्रिय रूप से भागीदारी की।
(सोर्स: भाकृअनुप-केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार)







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