लुधियाना में फसल अवशेष प्रबंधन पर हितधारकों के लिए परामर्श का आयोजन

लुधियाना में फसल अवशेष प्रबंधन पर हितधारकों के लिए परामर्श का आयोजन

14 नवंबर, 2025, लुधियाना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना ने आज गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (जीएडीवीएएसयू) तता पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर फसल अवशेष मैनेजमेंट पर हितधारक सम्पर्क बैठक का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में बड़े संस्थान, अनुभवी लोग तथा चिकित्सा से जुड़े लोग एक साथ आए ताकि टिकाऊ फसल अवशेष प्रबंधन तथा पराली जलाने से रोकने के लिए मज़बूत स्ट्रेटेजी पर बात की जा सके।

डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की, जबकि डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप, ने सम्मानित अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया।

Stakeholders’ Consultation on Crop Residue Management Organized in Ludhiana

इस कंसल्टेशन में जाने-माने लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें डॉ. जे.पी.एस. गिल, कुलपति, जीएडीवीएएसयू; डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी; एवं डॉ. नचिकेत कोटवालीवाले, निदेशक, भाकृअनुप-सीफेट, लुधियाना, तथा डॉ. एस. भुल्लर, डॉ. आर.एस. ग्रेवाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल थे।

अपने संबोधन में, डॉ. जाट ने मशीनरी के इस्तेमाल, सर्विस देने के तरीकों और लंबे समय तक फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर्स (सीएचएस) की सफलता एवं चुनौतियों के एक सिस्टमैटिक एनालिसिस की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने फसल अवशेष लर्निंग के एक परिदृश्य के रूप में स्वीकारने तथा किसानों, सभी केवीके, विश्वविद्यालयों, सभी सीएचसी, उद्योग जगत के हितधारक और स्थानीय संस्थान को शामिल करके बेस्ट प्रैक्टिस दिखाने एवं लोकल लेवल पर काम के मिलकर समाधान निकालने की अहमियत पर ज़ोर दिया।

डॉ. राजबीर सिंह ने किसानों और केवीके की वैज्ञानिक तरीके अवशेष प्रबंधन प्रथा अपनाने की पूरी कोशिशों को माना, जिससे इस इलाके में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि इन कोशिशों से पिछले कुछ सालों में हवा की क्वालिटी में काफी सुधार हुआ है, जो मिलकर काम करने और कम्युनिटी की भागीदारी का असर दिखाता है।

इससे पहले, डॉ. परविंदर श्योराण ने धान की कटाई और रेसिड्यू मैनेजमेंट में मौजूदा प्रोग्रेस का एक ओवरव्यू दिया। उन्होंने बताया कि लगातार जागरूकता कैंपेन, मशीनरी तक ज़्यादा पहुँच और एक साथ फील्ड ऑपरेशन ने मिलकर पराली जलाने की घटनाओं में साल-दर-साल कमी लाने में मदद की है।

Stakeholders’ Consultation on Crop Residue Management Organized in Ludhiana

इस मौके पर, “फसल प्रबंधन पर चौपाल चर्चा एवं किसान–वैज्ञानिक संवाद” नाम का एक पब्लिकेशन रिलीज़ किया गया, साथ ही एक वीडियो “पराली प्रबंधन: स्वच्छ हवा, समृद्ध खेत,” जिसमें केन्द्रीय कृषि मंत्री का एक खास संदेश था।

इस इवेंट के दौरान, भाकृअनुप के महानिदेशक ने जीएडीवीएएसयू में नए बने इंटरनेशनल गेस्ट हाउस का भी उद्घाटन किया, जिससे वैज्ञानिकों और आने वाले एक्सपर्ट्स के सहयोग के लिए संस्थान का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हुआ।

कंसल्टेशन इस बात के साथ खत्म हुआ कि सभी हितधारकों ने इस इलाके में जीरो पराली जलाने के साझा लक्ष्य को पाने के लिए मिलकर किए जा रहे प्रयासों को और मज़बूत करने का नया वादा किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)

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