“1+1 2 नहीं, 11 होना चाहिए”: डॉ. एम.एल. जाट ने भारत-ऑस्ट्रेलिया रिसर्च पार्टनरशिप को और मज़बूत किया
17 नवंबर, 2025, सिडनी
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच वैज्ञानिक सहयोग में बढ़ती तेज़ी को फिर से पक्का करते हुए, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), आज डॉ. राजबीर सिंह तथा डॉ. ए. के. नायक, उप-महानिदेशक, के साथ वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी (डब्ल्यूएसयू) गए। प्रतिनिधिमंडल ने ऑस्ट्रेलिया इंडिया वाटर सेंटर (एआईडब्ल्यूसी) सिम्पोजियम 2025 में हिस्सा लिया और भाकृअनुप– डब्ल्यूएसयू वर्क प्लान (2024–2029) के एनेक्सर IX पर साइन किए, जिससे सहयोग के अगले चरण को पक्का किया गया।

एआईडब्ल्यूसी सिम्पोजियम को संबोधित करते हुए, डॉ. जाट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पार्टनरशिप से बहुत बड़ा असर होना चाहिए, उन्होंने कहा कि '1+1 2 नहीं, 11 होना चाहिए। उन्होंने टिकाऊ जस भविष्य, भू-जल प्रबंधन, जलवायु-अनुकूल और क्षमता निर्माण को आकार देने में भारत-ऑस्ट्रेलियाई सहयोग की अहम पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने एमएआरवीआई, यंग वाटर प्रोफेशनल प्रोग्राम, डैम सेफ्टी ट्रेनिंग और प्रस्तावित जॉइंट मास्टर प्रोग्राम जैसी पहलों की भी तारीफ की, और पानी पर केन्द्रित रिसर्च में भाकृअनुप संस्थानों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी का आह्वान किया।
डॉ. जाट ने एनआईसीएम हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के अपने दौरे के बाद, कृषि को औषधीय पौधों और मेडिकल रिसर्च से जोड़ने के लिए सहयोग के नए अवसरों पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने ज्यादा दो-तरफा कैपेसिटी बिल्डिंग और भाकृअनुप संस्थानों में ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं की ज्यादा भागीदारी को बढ़ावा दिया।

प्रो. जॉर्ज विलियम्स, कुलपति, डब्ल्यूएसयू तथा वरिष्ठ नेतृत्व से जुड़े व्यक्तियों के साथ बातचीत में, दोनों पक्षों द्वारा अब तक की प्राप्त उपलब्धियों तथा महत्वपूर्ण नतीजों की समीक्षा की, जिसमें डुअल-डिग्री प्रोग्राम, सहयोगी प्रोजेक्ट और बढ़े हुए मोबिलिटी पहल शामिल हैं।
एनेक्सर IX पर साइन करने से जॉइंट रिसर्च, क्षमता विकास, अल्पकालीन प्रमाण पत्र कार्यक्रम, व्यावसायिक शिक्षा और बढ़े हुए छात्र-प्राध्यापक की अदला-बदली के प्रति नई प्रतिबद्धता का संकेत मिलता है।
इस कार्यक्रम में सिडनी में डॉ. एस. जानकीरमन, कॉन्सल जनरल, भारत और नाबार्ड के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

भाकृअनुप तथा डब्ल्यूएसयू की पार्टनरशिप से काफी प्रोग्रेस हुई है, पिछले तीन सालों में 58 डुअल-डिग्री स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है और एनएएचईपी के तहत बड़े ट्रेनिंग प्रोग्राम्स ने राज्यों के कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा वैज्ञानिकों को सपोर्ट किया है। डब्ल्यूएसयू का आने वाला इंडिया कैंपस जॉइंट रिसर्च, एजुकेशन और स्किल्स डेवलपमेंट को और मज़बूत करने की उम्मीद है।
यह विज़िट दोनों संस्थानों के साथ मिलकर कृषि अनुसंधान, टिकाऊ जल प्रबंधन तथा मानव संसाधन विकास में भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग को तेज़ करने की अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि के साथ खत्म हुई।
(स्रोतः अन्तर्राष्ट्रीय संबंध प्रभाग, भाकृअनुप)







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