31 अक्टूबर, 2023, कोलकाता
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक-सह-अध्यक्ष, इस क्षेत्र के चार केन्द्रों के लिए, एफएफपी, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन समिति के अध्यक्षता (जेडपीएमसी) ने हाइब्रिड माध्यम से आज भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता में फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम (एफएफपी) की एक दिवसीय क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
डॉ. एस.एस. दाना, कुलपति, डब्ल्यूबीयूएएफएस कोलकाता, कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने प्रौद्योगिकी प्रसार के प्रभाव अध्ययन, परियोजना के बंद होने के बाद स्थिरता और विभिन्न एजेंसियों द्वारा समान कार्यक्रमों के दोहराव से बचने के महत्व को बताया। डॉ. दाना ने एफएफपी के माध्यम से प्रदर्शित विभिन्न प्रौद्योगिकियों के मूल्यांकन पर भी जोर दिया।
डॉ. पी.जे. मिश्रा, सम्मानित अतिथि और डीन, विस्तार शिक्षा, ओयूएटी, भुवनेश्वर ने एफएफपी के सफल संचालन पर अपनी चिंता व्यक्त की और संस्थानों द्वारा नवीन किसान प्रौद्योगिकी की कमी की वकालत की। उन्होंने जलवायु-स्मार्ट कृषि तथा टिकाऊ कृषि उद्यमिता के बारे में भी बात की एवं कार्यक्रम के निष्कर्षों के आधार पर अनुसंधान प्रकाशन पर जोर दिया।
डॉ. आर. रॉय बर्मन, सहायक महानिदेशक (एई), भाकृअनुप ने कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी तथा किसानों, वैज्ञानिकों की अधिक भागीदारी तथा ग्राम समूहों के पूरे घरों को संतृप्त करने के लिए एक संतुलित मॉड्यूल पर अपने दृष्टिकोण से अवगत कराया। उन्होंने सीड हब स्थापित करने, स्थिरता निधि बढ़ाने और सामग्री जुटाने, एफएफपी के माध्यम से प्रदर्शित प्रौद्योगिकियों के अप-स्केलिंग तथा आउट-स्केलिंग के लिए जिला/ राज्य प्रशासन के साथ साझेदारी पर भी जोर दिया।
डॉ. प्रदीप डे ने अपने संबोधन में प्रौद्योगिकी के सह-निर्माण पर केन्द्रित दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभिसरण के माध्यम से अन्य स्रोतों से धन जुटाना, एक स्तरीय अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए एफपीओ/ एफपीसी को बढ़ावा देना तथा संस्थागत शिक्षा का दस्तावेजीकरण महत्वपूर्ण है। डॉ. डे ने कहा कि कार्यशाला मृदा स्वास्थ्य के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग के लिए संभावित प्रौद्योगिकियों की पहचान और संयोजन में मदद करेगी जिससे कृषि उत्पादन में और सुधार होगा तथा समग्र रूप से कृषक समुदाय की आजीविका में सुधार होगा।
चार एफएफपी केन्द्रों के प्रधान जांचकर्ताओं (पीआई)/ सह-पीआई ने अप्रैल से अक्टूबर 2023 की अवधि के दौरान संबंधित केन्द्रों की भौतिक और वित्तीय उपलब्धियों को प्रस्तुत किया, जिनकी तकनीकी सत्र के दौरान प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा आलोचनात्मक समीक्षा की गई।
कार्यशाला में कुल 40 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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