16 सितम्बर, 2025, अल्मोड़ा
सोयाबीन एवं भट्ट उत्तराखंड की पारंपरिक एवं पोषक तत्वों से भरपूर फसल है, जो न केवल स्थानीय खाद्य सुरक्षा में सहायक है बल्कि बाजार में भी इसकी उच्च मांग रहती है। राज्य में सोयाबीन एवं भट्ट को वृहद स्तर पर उगाया जाता है। अतः इन फसलों को लाभप्रद बनाने हेतु संस्थान द्वारा उन्नत प्रजातियों के विकास एवं प्रसार पर जोर दिया जा रहा है।
भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों की टीम ने आज अल्मोड़ा जिले के रैलाकोट, दिगोटी तथा निरई गाँव का दौरा किया। टीम में डॉ. अनुराधा भारतीय (वरिष्ठ वैज्ञानिक, पौध प्रजनन), डॉ. कामिनी बिष्ट (वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विस्तार), डॉ. हेमलता जोशी एवं श्री सुरेन्द्र गोस्वामी शामिल थे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में चल रहे सोयाबीन के अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन का निरीक्षण एवं किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना था।
निरीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने फसल की वृद्धि अवस्था, पोषण प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, तथा कीट एवं रोग प्रबंधन की स्थिति का मूल्यांकन किया। किसानों से रोयेंदार सूंडी, चौलीयोप्स एफिड एवं अन्य कीटों, मण्डुकाक्ष पर्ण चित्ती रोग, फली दाह, आदि की रोकथाम हेतु समेकित कीट प्रबंधन तकनीकों पर भी जानकारी साझा की गई।
संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों से संवाद करते हुए वी.एल. 89 एवं वी.एल. भट 202 किस्मों के प्रदर्शन पर चर्चा की।
दिगोटी गांव की श्रीमती चंद्र देवी, श्रीमती दया देवी, श्रीमती जानकी देवी तथा रैलाकोट गांव की श्रीमती आशा जीना, श्रीमती भावना जीना, श्रीमती लक्ष्मी जीना ने बताया कि इन किस्मों में बेहतर उत्पादकता, दानों की गुणवत्ता एवं रोग सहनशीलता देखी जा रही है।
वैज्ञानिकों ने किसानों को आश्वस्त किया कि संस्थान द्वारा सोयाबीन/ भट्ट के दूध एवं टोफू, आदि मूल्य वर्धित उत्पादों को बनाने के प्रशिक्षण के प्रयास भी किया जायेंगे ताकि किसानों को इन फसलों का भरपूर फायदा मिले।
(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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