खेती की पैदावार एवं जानवरों की सेहत पर सूक्ष्म जलवायु में बदलाव का बहुत ज़्यादा असर पड़ता है, खासकर तापमान एवं नमी का, जिसका सीधा असर फसल के विकास, जानवरों के आराम और संसाधन के इस्तेमाल की क्षमता पर पड़ता है। आम मॉनिटरिंग टूल अक्सर सिर्फ़ सिंगल-पॉइंट डेटा देते हैं, दूर से एक्सेस नहीं कर पाते, और लंबे समय तक फील्ड में इस्तेमाल के लिए उतने मज़बूत नहीं होते।
इन दिक्कतों को दूर करने के लिए, भाकअनुप–केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान, श्री विजया पुरम, के वैज्ञानिकों ने द्वीप सूक्ष्म जलवायु निरीक्षक का विकास किया है। यह एक सस्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) - सक्षम उपकरण है जिसे सूक्ष्म जलवायु डाटा की रियल-टाइम रिकॉर्डिंग तथा ट्रांसमिशन के लिए डिजाइन किया गया है। यह इंस्ट्रूमेंट कई ऊंचाइयों पर तापमान एवं नमी की वर्टिकल प्रोफाइलिंग, ऑफ-ग्रिड और दूर के इलाकों के लिए सोलर-पावर्ड ऑपरेशन, दूर से डेटा एक्सेस और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए क्लाउड-बेस्ड डैशबोर्ड, और अलग-अलग तरह के खेती के प्रणाली के लिए बनाया गया एक कॉम्पैक्ट, मज़बूत डिज़ाइन देता है। यह खुले खेतों, ग्रीनहाउस, एकीकृत खेती व्यवस्था (आईएफएस), तथा जानवरों के शेड में इस्तेमाल के लिए एकदम सही है, जिससे अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्र में स्थान विशिष्ट जलवायु निरीक्षण मुमकिन हो पाता है।

यह जलवायु अनुकूल कृषि हेतु बड़ी उपलब्धि व तरक्की को दर्शाता है, जिससे इसके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहे हैं। यह भिन्नता तथा रुझान की व्याख्या करने के लिए लम्बे समय के लिए छोटे स्तर डाटा का सेट बनाने में मदद करता है, जलवायु परिवर्तन के असर के मूल्यांकन को मजबूत करता है, और देश के अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्र में मानक अध्ययन को सपोर्ट करता है।
इस डिवाइस का इस्तेमाल करके की गई रिसर्च, खेत-लेवल पर फैसले लेने के लिए बारीक माइक्रोक्लाइमेट डेटा को समाहित करके कृषि सलाह की सटीकता बढ़ाने में मदद करेगी। यह हीट स्ट्रेस, ह्यूमिडिटी में उतार-चढ़ाव और मौसम से होने वाले दूसरे स्ट्रेस के खिलाफ समय पर दखल देकर प्रोएक्टिव फसल और जानवरों के मैनेजमेंट में भी मदद करेगा, जिससे उत्पादकता और टिकाऊपन में सुधार होगा। इसके अलावा, यह डिवाइस विकासशील डिग्री दिन या हीट यूनिट बेस्ड स्टडीज़, जानवरों के आराम का असेसमेंट, सैटेलाइट से मिले मौसम डेटासेट के वेलिडेशन में मदद करेगा, और कृषि मौसम विज्ञान संबंधी तथा जलवायु संबंधी अनुसंधान के लिए खेत स्तर पर आकलन हेतु सहायता प्रदान करेगा। इस तकनीकी को 29 सितंबर, 2025 को एग्रीक्लिमसेंस, लिवान, सोनीपत, हरियाणा के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत सफलतापूर्वक व्यवसायीकरण किया गया था।
इस टेक्नोलॉजी के पीछे इनोवेशन टीम में डॉ. अभिलाष (लीड इन्वेंटर), डॉ. आई. जयशंकर, श्री तलाविया हर्षंगकुमार, और डॉ. ई.बी. चाकुरकर शामिल हैं।
(स्रोत: भाकअनुप–केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान, श्री विजया पुरम)







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