19 अगस्त, 2025, झाँसी
अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) के अंतर्गत रबी दलहन पर 30वीं वार्षिक समूह बैठक आज रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (आरएलबीसीएयू), झांसी में शुरू हुई।

मुख्य अतिथि, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव, (डेयर) एवं महानिदेशक, (भाकृअनुप) ने दलहन अनुसंधान एवं विकास को सुदृढ़ बनाने के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रस्तुत किया। उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने और खेती के क्षेत्र का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही मृदा स्वास्थ्य को समृद्ध बनाने, मनुष्यों को प्रोटीन युक्त पोषण प्रदान करने तथा पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन बनाए रखने में दलहन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिष्ठित किस्मों तथा अग्रणी तकनीकों के विकास का आह्वान किया और अंतर-फसल एवं उन्नत कृषि पद्धतियों के माध्यम से चावल आधारित प्रणालियों के अनुकूलन के महत्व पर बल दिया। फॉस्फोरस उपयोग दक्षता में अंतर को पाटने के साथ-साथ मशीनीकरण को बढ़ावा देना, प्रभावी खरपतवार प्रबंधन तथा फसल प्रणालियों में दलहनों को शामिल करना महत्वपूर्ण बताया गया। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कुशल डेटा प्रबंधन दलहन विकास की बेहतर योजना और निगरानी में सहायक होगा।

सत्र की अध्यक्षता, डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, आरएलबीसीएयू, झांसी ने की और सह-अध्यक्षता, डॉ. डी.के. यादव, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने की।
श्री संजय कुमार अग्रवाल, संयुक्त सचिव, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
डॉ. एस.के. चतुर्वेदी, निदेशक अनुसंधान, आरएलबीसीएयू, झांसी ने स्वागत संबोधन दिया।
डॉ. संजीव गुप्ता, अतिरिक्त महानिदेशक (तिलहन एवं दलहन), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने एक परिचयात्मक संबोधन दिया, जिसके बाद डॉ. जी.पी. दीक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईपीआर, कानपुर ने "भारत में रबी दलहन में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों" पर एक प्रस्तुति दी।
डॉ. शैलेश त्रिपाठी, परियोजना समन्वयक (रबी दलहन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना), भाकृअनुप-आईआईपीआर, कानपुर ने रबी दलहन की अनुसंधान उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
यह बैठक शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और हितधारकों को रबी दलहन अनुसंधान को आगे बढ़ाने तथा किसान-केन्द्रित नवाचारों को सुदृढ़ करने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाती है।
(स्रोत: रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी)
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