12 अगस्त, 2025, पटना
भाकृअनुप पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर, पटना ने आज "जलवायु संकट से निपटने के लिए खाद्य, भूमि और जल प्रणालियों में परिवर्तन" विषय पर एक राज्य स्तरीय हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, विकास एजेंसियों तथा किसानों को एक साथ लाकर बिहार में जलवायु-अनुकूल कृषि के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया।

डॉ. बी. राजेन्द्र, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, बिहार सरकार ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला का उद्घाटन किया और विज़न 2047 को प्राप्त करने के लिए विभिन्न विभागों में समन्वित, "सिलो-मुक्त" कार्रवाई पर ज़ोर दिया। उन्होंने बाजरे, जल-स्मार्ट खेती और क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, बिहार की खाद्य, भूमि एवं जल प्रणालियों को मज़बूत करने के लिए एकीकृत प्रयासों का आग्रह किया।
श्री भारत ज्योति, आईएफएस (सेवानिवृत्त), जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष, बिहार राज्य ने जैव विविधता-आधारित दृष्टिकोण, भूमि पूलिंग, स्थानीय तथा संकर किस्मों के सम्मिश्रण तथा पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकों के साथ एकीकृत करने का आह्वान किया।

डॉ. अनूप दास, निदेशक, भाकृअनुप-आरसीईआर ने अपने स्वागत संबोधन में बिहार की जलवायु संबंधी कमजोरियों को दूर करने के लिए एकीकृत, विज्ञान-आधारित समाधानों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही यह सुनिश्चित किया कि दीर्घकालिक लचीलापन और स्थिरता के लिए नवाचार किसानों के खेतों तक पहुँचें।
इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-आरसीईआर और एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर तथा संस्थान के न्यूज़लेटर का विमोचन भी हुआ। प्रगतिशील किसानों ने चर्चा के दौरान क्षेत्र-स्तरीय अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सक्रिय योगदान दिया।

जलवायु-स्मार्ट पोषण प्रणाली, वाटरशेड-आधारित लचीलापन, कार्बन खेती, खाद्य भूमि जल संबंध एवं अग्रणी प्रौद्योगिकियों पर पांच विषयगत ब्रेकआउट सत्रों ने कार्यान्वयन योग्य सिफारिशें तैयार की, जिन्हें बाद में डॉ. अनूप दास की अध्यक्षता और डॉ. एस.के. पुर्बे की सह-अध्यक्षता वाले पूर्ण सत्र में समेकित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर, पटना)
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