भारत में सूखा प्रबंधन हेतु सुखा रक्षक एआई पर उपयोगकर्ता परामर्श कार्यशाला का आयोजन

भारत में सूखा प्रबंधन हेतु सुखा रक्षक एआई पर उपयोगकर्ता परामर्श कार्यशाला का आयोजन

13 अगस्त, 2025, हैदराबाद

भारत में सूखा प्रबंधन हेतु सुखारक्षक एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) पर एक दिवसीय उपयोगकर्ता परामर्श कार्यशाला का आयोजन आज अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान (आईडब्ल्यूएमआई) और भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से हैदराबाद में किया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य प्रमुख हितधारकों को सुखारक्षक एआई से परिचित कराना, उपयोगकर्ता तथा निर्णयकर्ताओं की प्रतिक्रिया एकत्र करना एवं इसके क्षेत्र-स्तरीय परिनियोजन एवं विस्तार हेतु रणनीतियों को संयुक्त रूप से डिज़ाइन करना था।

User Consultation Workshop on SukhaRakshak AI for Drought Management in India

डॉ. विनोद कुमार सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिडा ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, कृषि विस्तार विशेषज्ञों, कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के प्रतिनिधियों, राज्य सरकार के अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों, शोधकर्ताओं, कृषि विशेषज्ञों तथा भाकृअनुप-क्रिडा के वैज्ञानिकों के साथ इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

भारत की पहली पूर्वानुमानित, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-संचालित सूखा परामर्श प्रणाली, सुखारक्षक एआई ("सूखा रक्षक"), आईडब्ल्यूएमआई द्वारा भाकृअनुप और भाकृअनुप-क्रिडा के सहयोग से विकसित की गई है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उपग्रह-आधारित भू-अवलोकन, संभाव्य मौसम पूर्वानुमान और स्थानीयकृत कृषि आकस्मिक योजनाओं का उपयोग करके 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में व्यक्तिगत, पूर्वानुमानित सूखा परामर्श प्रदान करती है। यह प्रणाली किसानों को समय पर निर्णय लेने में सक्षम बनाती है, जैसे कि कम अवधि वाली फसलों की ओर रुख करना, जल-बचत के उपाय अपनाना, या सूखे के प्रभाव बढ़ने से पहले पशु आहार के विकल्प तैयार करना।

विशेषज्ञों ने सुखारक्षक एआई के विकास, तुलनात्मक लाभों, प्रायोगिक परिणामों और भविष्य के रोडमैप का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें व्यापक साझेदारियां, राष्ट्रीय प्रणालियों के साथ एकीकरण तथा क्षेत्रीय विस्तार शामिल हैं।

कार्यशाला के एक भाग के रूप में, प्रतिभागियों ने निम्नलिखित विषयों पर समूह चर्चा में भाग लिया:

• स्थानीय प्रासंगिकता और परामर्शी डिज़ाइन

• वितरण चैनल और अंतिम-मील कनेक्टिविटी

• डेटा, पूर्वानुमान एकीकरण और विश्वास

• संस्थागत एकीकरण और संचालन

• विस्तार और स्थिरता

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यह कार्यशाला सूखा जोखिम प्रबंधन, कृषि विस्तार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता नवाचार एवं जलवायु लचीलापन में हितधारकों के बीच संवाद, सह-निर्माण एवं समन्वय के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है। इसने प्रणाली की विशेषताओं को मान्य करने, स्थानीय प्रासंगिकता को बढ़ाने और संस्थागत एकीकरण और विस्तार के अवसरों का पता लगाने का अवसर प्रदान किया।

विभिन्न संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, शोधकर्ताओं और कृषि विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 60 प्रतिभागियों ने परामर्श में भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)

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