कृषि अनुसंधान सेवा के लिए 115वें फाउंडेशन कोर्स का उद्घाटन

कृषि अनुसंधान सेवा के लिए 115वें फाउंडेशन कोर्स का उद्घाटन

11 अगस्त, 2025, हैदराबाद

कृषि अनुसंधान सेवा के लिए 115वें फाउंडेशन कोर्स (एफओसीएआरएस) का उद्घाटन समारोह भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, राजेंद्रनगर, हैदराबाद में आयोजित किया गया। 11 अगस्त से 25 नवंबर, 2025 तक चलने वाला भाकृअनुप का यह प्रमुख कार्यक्रम, कृषि अनुसंधान सेवा (एआरएस) के नवनियुक्त वैज्ञानिकों को उन्मुख तथा प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि उन्हें भारतीय कृषि में उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक व्यावसायिक कौशल, टीम भावना तथा सहयोगात्मक मानसिकता से लैस किया जा सके। वैज्ञानिकों का यह समूह अखिल भारतीय प्रतिनिधित्व वाला है और इसमें भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता है।

Session of the 115th Foundation Course for Agricultural Research Service Inaugurated

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि, डॉ. छबिलेंद्र राउल, सदस्य, केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण सहित कई गणमान्य जिसमें; पूर्व सचिव, मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन मंत्रालय तथा पूर्व विशेष सचिव, डेयर एवं सचिव, भाकृअनुप, साथ ही विशिष्ट अतिथि, डॉ. जयकृष्ण जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान एवं कृषि शिक्षा), भाकृअनुप, और श्री अरुण तिवारी, मिसाइल वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त), डीआरडीओ, लेखक एवं निदेशक, केयर फाउंडेशन, हैदराबाद व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में डॉ. राउल ने 1960 के दशक की खाद्यान्न कमी से आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने तक भारत के उल्लेखनीय परिवर्तन पर प्रकाश डाला। इन उपलब्धियों को स्वीकार करते हुए, उन्होंने पोषण सुरक्षा, गुणवत्ता वृद्धि, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और मशीनीकरण के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थों को समझने पर ध्यान केन्द्रित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने परिवीक्षाधीन वैज्ञानिकों से मौलिक तथा अनुप्रयुक्त दोनों प्रकार के अनुसंधान में संलग्न होने का आग्रह किया जो किसानों और समाज को ठोस लाभ प्रदान करते हैं।

डॉ. जेना ने अपने व्यापक अनुभव का उपयोग करते हुए, आधुनिक कृषि प्रणालियों में चुनौतियों और अवसरों पर बात की, विविधीकरण, गुणवत्ता सुधार, स्थिरता तथा बहु-विषयक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को समर्पण के साथ काम करने, अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और अपने करियर के इस नए चरण को उत्साह तथा दृढ़ संकल्प के साथ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

Session of the 115th Foundation Course for Agricultural Research Service Inaugurated

अपने प्रेरक संबोधन में, श्री तिवारी ने राष्ट्र निर्माण में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका को उत्साहपूर्वक रेखांकित किया और कृषि वैज्ञानिकों को देश के सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक बताया। दुनिया के सबसे बड़े कृषि अनुसंधान संगठनों में से एक के रूप में भाकृअनुप की वैश्विक प्रतिष्ठा की सराहना करते हुए, उन्होंने प्रतिभागियों को अपनी पेशेवर यात्रा में नवाचार, दृढ़ता और गौरव को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. गोपाल लाल, निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम ने भाकृअनुप प्रणाली के भीतर प्रभावशाली अनुसंधान पहलों के बारे में बात की, कार्यक्रम के उद्देश्यों को रेखांकित किया तथा प्रतिभागियों को निष्ठा की शपथ दिलाई, जिससे भारतीय कृषि को आगे बढ़ाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और मजबूत हुई।

उद्घाटन सत्र में प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा कई ज्ञानवर्धक एवं प्रेरक संबोधन दिया।

इस एफओसीएआरएस में कुल 107 प्रतिभागी (72 पुरुष + 35 महिला) शामिल हुआ।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, राजेंद्रनगर, हैदराबाद)

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