28 अगस्त, 2025, लखनऊ
भाकृअनुप-जीनोमिक्स पर कंसोर्टियम अनुसंधान मंच, नई दिल्ली की 9वीं वार्षिक समीक्षा बैठक आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ में आयोजित की गई। इस बैठक में भाकृअनुप के सहयोगी संस्थानों के वैज्ञानिक तथा परियोजना अन्वेषक, जीनोमिक्स पर सीआरपी के अंतर्गत प्रगति की समीक्षा एवं भविष्य की रणनीतियों पर विचार-विमर्श के लिए एकत्रित हुआ।
वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए, डॉ. जयकृष्ण जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भाकृअनुप तथा भाकृअनुप-सीआरपी जीनोमिक्स के समन्वयक ने विभिन्न वस्तुओं में इस मंच के महत्व का उल्लेख किया।

डॉ. ए.के. शासनी, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने समीक्षा बैठक में एक बाहरी विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया और बहुमूल्य टिप्पणियां प्रस्तुत किया।
डॉ. काजल चक्रवर्ती, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
भाकृअनुप-राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, भाकृअनुप-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, भाकृअनुप-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलकृषि संस्थान, भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठा जलकृषि संस्थान, भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीव ब्यूरो, भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भाकृअनुप-भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, तथा भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान सहित सहयोगी भाकृअनुप संस्थानों के परियोजना अन्वेषकों (पीआई) द्वारा वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ दी गई।

प्रत्येक प्रस्तुति में 2024-25 के दौरान प्राप्त प्रगति पर प्रकाश डाला गया, जिसमें वैज्ञानिक प्रगति, प्रकाशन, प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण, वित्तीय पहलू तथा 2025-26 के लिए कार्य योजनाओं की रूपरेखा शामिल थी। कृषि एवं मत्स्य अनुसंधान के लिए जीनोमिक्स अनुप्रयोगों को मजबूत करने हेतु चल रही तथा उभरती चुनौतियों, सहयोगात्मक अवसरों एवं अनुवादात्मक मार्गों पर विस्तृत चर्चा की गई।
नौवीं वार्षिक समीक्षा बैठक में भारतीय कृषि एवं मत्स्य पालन की उन्नति के लिए जीनोमिक नवाचारों का उपयोग करने तथा सतत विकास एवं खाद्य सुरक्षा के राष्ट्रीय दृष्टिकोण में योगदान देने हेतु भाकृअनुप की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)
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