30 अगस्त, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद ने आज कृषि अनुसंधान सेवा के लिए 115वें फाउंडेशन कोर्स (एफओसीएआरएस) के अंतर्गत कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर एक विचारोत्तेजक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित नेता एकत्रित हुए जिन्होंने युवा एआरएस परिवीक्षार्थियों को प्रेरित करने के लिए अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा किए।

मुख्य संबोधन देते हुए, पूर्व डॉ. एस.एल. मेहता, उप-महानिदेशक (शिक्षा), भाकृअनुप ने अपने समृद्ध पेशेवर जीवन से प्राप्त सफलता के शाश्वत सबक तथा मार्गदर्शक सिद्धांत साझा किया। "सफलता के लिए चार F" - विश्वास, फोकस, अनुसरण और समापन - की अवधारणा का परिचय देते हुए, उन्होंने परिवीक्षार्थियों से ईमानदारी, अनुशासन और दृढ़ता का अभ्यास करने का आग्रह किया। उन्होंने मानवीय संबंधों को महत्व देने, निरंतर सीखने और नेतृत्व में ईमानदारी के महत्व पर भी ज़ोर दिया, जिससे प्रतिभागी अत्यधिक प्रेरित हुआ।
डॉ. राजी रेड्डी डांडा, कुलपति, श्री कोंडा लक्ष्मण तेलंगाना राज्य बागवानी विश्वविद्यालय ने जलवायु परिवर्तनशीलता के तहत खेती की चुनौतियों पर एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति, श्रमिकों की कमी तथा विपणन संबंधी कठिनाइयों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने अधिक मशीनीकरण, कृषि और आईटी क्षेत्रों के बीच सहयोग और दलहन, तिलहन एवं बागवानी फसलों के मूल्यवर्धन पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
पशुधन और जलीय कृषि पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, डॉ. जम्पला वेंकट रमण, कुलपति, श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, तिरुपति ने भारतीय कृषि के महत्वपूर्ण स्तंभों के रूप में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने परिवीक्षार्थियों को वित्तीय प्रबंधन और सांख्यिकीय विश्लेषण में अपने कौशल को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही कृत्रिम गर्भाधान, पशु स्वास्थ्य निगरानी, फीडर बैंकों और कल्याणकारी उपायों के माध्यम से पशुधन क्षेत्र की विकास क्षमता पर प्रकाश डाला।

अपने संबोधन में, डॉ. गोपाल लाल, निदेशक, भाकृअनुप-नार्म ने खाद्य, पोषण सुरक्षा, उद्यमिता और आर्थिक विकास में बागवानी के बहुआयामी योगदान पर जोर दिया। उन्होंने खाद्य, वस्त्र तथा अन्य उद्योगों में बागवानी फसलों के प्राकृतिक रंगों की भूमिका पर प्रकाश डाला और युवा वैज्ञानिकों से कृषि चुनौतियों का सामना नवाचार, स्थिरता और किसान-केन्द्रित सेवा भावना के साथ करने का आग्रह किया।
सत्र का समापन एक प्रेरणादायक नोट पर हुआ, जिसमें एआरएस परिवीक्षार्थियों को अपने करियर में ईमानदारी, नवाचार एवं निरंतर सीखने को शामिल करने तथा भारतीय कृषि को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध एक जिम्मेदार शोधकर्ता के रूप में योगदान करने के लिए प्रेरित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, राजेन्द्रनगर, हैदराबाद)
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