11 फरवरी, 2023, हैदराबाद
निक्रा के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक द्वारा आयोजित आंचलिक निगरानी कार्यशाला (11-12 फरवरी, 2023) का उद्घाटन आज भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में किया गया।
डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि केवीके भारतीय कृषि की रीढ़ हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम में निक्रा-टीडीसी के तहत किए गए कार्यों की सफलता की कहानियों पर प्रकाश डाला तथा यह उद्घाटित किया कि इन सफलता की कहानियों को एफएओ आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा पहचान मिला है। उन्होंने एनआईसीआरए-टीडीसी के तहत पहचाने गए 50% जोखिम वाले जिलों के काम की निगरानी के लिए जोनल निगरानी समितियों का गठन किया। उन्होंने यह भी पहचानने का आग्रह किया कि अभिसरण की आवश्यकता कहाँ है और यह देखने के लिए कि कौन सा घटक ठीक से काम नहीं कर रहा है। उन्होंने उन क्षेत्रों की पहचान करने पर जोर दिया जहां नीतियों की आवश्यकता है और मौजूदा संसाधनों को उसके अनुकूल युक्तिसंगत बनाना है।
डॉ राजबीर सिंह, सहायक महानिदेशक (एएजी और सीसी) ने निक्रा-टीडीसी के तहत विभिन्न केवीके की सफलता की कहानियों पर प्रकाश डाला और इन सफलता की कहानियों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने और किसानों को दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने हीट वेव और शीतलहर की घटनाओं का मूल्यांकन करने पर भी जोर दिया।
डॉ. आर.के. सिंह, सहायक महानिदेशक (विस्तार) ने टीडीसी घटक में कई तनावों को एकीकृत करने का आग्रह किया और किसानों को समय पर ज्ञान हस्तांतरित करने और एजेंसियों के बीच समन्वय और
अभिसरण पर ध्यान केन्द्रित करने पर जोर दिया।
डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रीडा ने इस जेडएमसी बैठक के महत्व और उद्देश्य पर जोर दिया।
डॉ. जे.वी.एन.एस. प्रसाद, कार्यक्रम प्रमुख, टीडीसी-एनआईसीआरए ने क्षेत्रीय निगरानी कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी दी।
उद्घाटन सत्र में भाकृअनुप-क्रीडा के वैज्ञानिक, जेडपीडी के निदेशक और 36 प्रतिनिधि उपस्थित थे।
यहां, एनआईसीआरए (निक्रा) के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक (टीडीसी) का मैनुअल गणमान्य व्यक्तियों द्वारा जारी किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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