भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने अपने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर; राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर और आईसीआरआईएसएटी, पटानचेरु, हैदराबाद के सहयोग से सूखा सहिष्णु और अधिक उपज देने वाली चने की किस्म 'पूसा जेजी 16' विकसित की है जो मध्य प्रदेश, यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के मध्य क्षेत्र के सूखा-प्रवण क्षेत्रों में, जहां टर्मिनल सूखा एक बड़ी समस्या है और कभी-कभी उपज का 50-100% नुकसान होता है, वहां उत्पादकता में वृद्धि करने वाली किस्म है।


पूसा जेजी 16 किस्म को जीनोमिक-समर्थित प्रजनन तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया गया था, जिसने पैतृक किस्म जेजी 16 में आईसीसी 4958 से सूखा-सहिष्णु जीन के सटीक हस्तांतरण की अनुमति दी थी। चना के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम द्वारा राष्ट्रीय स्तर के परीक्षण के माध्यम से इस किस्म की सूखा सहिष्णुता की पुष्टि की गई थी।
डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई ने जोर देकर कहा कि 'पूसा जेजी 16' किस्म देश के मध्य क्षेत्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर प्रजनकों तथा सभी भागीदारों को बधाई दी।

भाकृअनुप-आईएआरआई द्वारा विकसित चना की किस्म जिसके टीम का नेतृत्व, डॉ. सी भारद्वाज, प्रमुख वैज्ञानिक तथा इसके साथ डॉ. राजीव वार्ष्णेय और आईसीआरआईएसएटी से डॉ. मनीष रुड़कीवाल, जेएनकेवीवी से डॉ. अनीता बब्बर तथा आरवीएसकेवीवी से डॉ. इंदु स्वरूप शामिल थे।
डॉ. भारद्वाज ने इस बात पर जोर दिया कि अत्यधिक सूखा सहिष्णु होने के अलावा, यह किस्म फ्यूजेरियम मुरझान और स्टंट रोगों के लिए प्रतिरोधी है, जिसमें कम अवधि की परिपक्वता (110 दिन) है और आवर्तक मूल जेजी 16 की उत्पादकता अति सूखा की स्थिति 1.3 टन/हेक्टर है जबकि सामान्य स्थिति >2 टन/हेक्टर की उपज क्षमता वाली है।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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