23 फरवरी, 2023, जोधपुर
राजस्थान तथा हरियाणा के चिन्हित कमजोर जिलों के केवीके के तकनीकी कार्यक्रमों पर चर्चा करने और उन्हें अंतिम रूप देने के लिए आज भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोधपुर में 'एनआईसीआरए (जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार) - प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक' की एक दिवसीय क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला आयोजित की गई।

मुख्य अतिथि, डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक भाकृअनुप-क्रीडा, हैदराबाद ने नए हस्तक्षेप मॉडल शुरू करने पर जोर दिया, जिनका जलवायु परिवर्तन के साथ सीधा असर पड़ता है। उन्होंने एनआईसीआरए-टीडीसी मॉड्यूल के तहत शुष्क क्षेत्र के लिए पशुधन आधारित कृषि प्रणालियों और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
सम्मानित अतिथि, डॉ. ओ.पी. यादव, निदेशक, भाकृअनुप-काजरी ने गतिविधियों को अधिक प्रभावी बनाने और किसानों की स्थायी आजीविका के लिए हस्तक्षेपों को अधिक लचीला बनाने तथा उन गतिविधियों पर फिर से विचार करने पर जोर दिया।
अटारी जोधपुर के निदेशक, डॉ. जे.पी. मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि विशेष रूप से शुष्क क्षेत्र में विभिन्न उत्पादन प्रणालियों के उत्पादन और उत्पादकता को बनाए रखने के लिए जलवायु परिवर्तन के अनुसार अनुकूलन के लिए रणनीति तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एनआईसीआरए के तहत इन हस्तक्षेपों को भेद्यता के आधार पर, क्षेत्र की मौजूदा फसल प्रथाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
प्रो. ए.के. गुप्ता, जीएमसी (ZMC) के अध्यक्ष और डॉ. पी.सी. भटनागर, पूर्व प्रमुख एवं पीएस, काजरी जोधपुर, सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. पी.पी. रोहिल्ला, नोडल अधिकारी, निक्रा ने राजस्थान और हरियाणा राज्यों के कमजोर जिलों से संकलित वर्ष - 2021 के दौरान निक्रा-टीडीसी के तहत प्राप्त मुख्य निष्कर्षों के बारे में जानकारी साझा की।
बैठक में भाकृअनुप संस्थानों, भाकृअनुप-अटारी-द्वितीय, जोधपुर तथा भाकृअनुप-क्रीडा, हैदराबाद के एसएयू के अधिकारियों, हरियाणा और राजस्थान राज्यों के विस्तार शिक्षा निदेशकों, वरिष्ठ वैज्ञानिकों तथा 18 निक्रा-केवीके के प्रमुखों सहित अन्य तकनीकी कर्मचारी ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)







फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें