भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली का 61वां दीक्षांत समारोह आयोजित

भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली का 61वां दीक्षांत समारोह आयोजित

24 फरवरी, 2023, नई दिल्ली

भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, कृषि का एक प्रमुख संस्थान, जिसने हरित क्रांति की शुरुआत की, ने अपने गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के माध्यम से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि को गति देना जारी रखा है। आज यह संस्थान, भाकृअनुप-आईएआरआई, अपना 61वां दीक्षांत समारोह आयोजित कर रहा है।

भारत के माननीय उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।

अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्रों और अनुसंधान और शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले सम्मानित शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा कई फसलों और पशुधन उत्पादों प्रथम स्थान हासिल करके तथा वैश्विक क्षेत्र में एक कृषि महाशक्ति के रूप में देश की शानदार वृद्धि के लिए तकनीकी प्रगति प्रदान करने में इसकी भूमिका की सराहना की। श्री धनखड़ ने आह्वान किया कि कृषि में अत्यधिक कुशल, योग्य और अनुभवी मानव संसाधनों की उपस्थिति के साथ-साथ नवीनतम ज्ञान तथा कौशल से लैस नवोदित युवा पीढ़ी, कृषि में उभरती चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आत्मविश्वास से भरे हैं जो एक सुरक्षा की भावना पैदा करती है।

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अब, लैब में विकसित तकनीक जमीन पर पहुंच रही है, यह बताते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब लैब को जमीन पर शिफ्ट होना चाहिए। उन्होंने कृषि ज्ञान से जुड़े बुद्धिजीवियों से आग्रह किया कि वे शुद्ध विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र द्वारा समर्थित अत्याधुनिक तकनीकों के साथ कृषि को नए युग में ले जाने के तरीकों का अध्ययन करें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कृषि उपकरण बनाने में नवाचार को बड़े पैमाने पर अपनाया जाना चाहिए। श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि उपज के मूल्यवर्धन के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय कृषि अनुसंधान कृषि और कृषि क्षेत्र में नवाचारों, गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधनों और तकनीकी अनुकूलन के साथ एक प्रक्षेपवक्र में गतिशील होकर राष्ट्र की सेवा कर रहा है।

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उपराष्ट्रपति ने 5 एमएससी छात्रों और डॉक्टरेट के 5 छात्रों की डिग्री तथा आईएआरआई मेरिट मेडल से सम्मानित किया। उन्होंने आनुवंशिकी विभाग के डॉक्टरेट छात्र, श्री राहुल कुमार को आईएआरआई का उत्कृष्ट छात्र सम्मान और एग्रोनोमी विभाग के एमएससी के छात्र श्री तरुण शर्मा, कृषि विज्ञान संभाग को नाबार्ड-प्रोफेसर वी.एल. चोपड़ा गोल्ड मेडल-2022 से सम्मानित किया गया।

डॉ. एच.के. जैन मेमोरियल युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, वर्ष 2021 के लिए, डॉ. अमलेंदु घोष, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्लांट पैथोलॉजी विभाग और डॉ. अदिति कुंडू, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि रसायन विभाग, आईएआरआई को वर्ष 2022 के लिए प्रदान किए गए।

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भारत और विदेश के छात्रों सहित कुल 402 छात्रों ने स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने खेत की फसलों और फूलों की फसलों की विभिन्न किस्मों को भी जारी किया। श्री धनखड़ द्वारा तीन प्रकाशन का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री कैलाश चौधरी भी सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) तथा भारत के उपराष्ट्रपति के सचिव सुनील कुमार गुप्ता भी शामिल हुए।

डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, आईएआरआई ने अपने संबोधन में आईएआरआई गेहूं की किस्मों जैसे एचडी 2967, एचडी 3086 और अन्य के बारे में जानकारी दी, जिनकी खेती लगभग 15 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है और देश के अन्न भंडार में लगभग 60 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, पूसा बासमती चावल की किस्मों का कुल विदेशी मुद्रा में 90% हिस्सा है। डॉ. सिंह ने कहा कि चालू वर्ष में आईएआरआई बासमती धान की पांच किस्मों यानी पीबी-1847, पीबी-1885, और पीबी-1886 और दो शाकनाशी सहिष्णु किस्मों को जोड़ने जा रहा है। इस प्रकार PB-1979 और PB-1985, अंतिम दो विशेष रूप से उत्तरी मैदानों में डीएसआर खेती के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने आह्वान किया कि न केवल विकासशील किस्में, बल्कि आईएआरआई किसानों को नियमित रूप से उनकी उपलब्धता भी सुनिश्चित करता है। डॉ. सिंह ने कहा कि संस्थान ने अनाज, दलहन और तिलहन किस्मों के 707.92 टन बीज का उत्पादन किया। निदेशक ने इस बात पर जोर दिया कि आईएआरआई की विस्तार गतिविधियां नवोन्मेषी विस्तार कार्यक्रमों के माध्यम से पूरे भारत में फैली हुई हैं।

डॉ अनुपमा सिंह, डीन और संयुक्त निदेशक (शिक्षा) ने बताया कि आईएआरआई ने स्नातक शिक्षण के लिए अपने द्वार खोलकर अपनी समृद्ध मानव-संसाधन विकास प्रक्रिया में एक नया अध्याय जोड़ा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत आईएआरआई और आउटरीच केन्द्रों के विभिन्न कार्यक्रमों में 306 स्नातक छात्रों का पहला बैच शुरू किया गया है।

संस्थान ने यूट्यूब पर कई भारतीय भाषाओं में एक अनूठा ऑनलाइन कार्यक्रम 'पूसा समाचार' का प्रसारण शुरू किया गया है जिसके माध्यम से हिंदी भाषा के अलावा अन्य भारतीय भाषा जैसे - तेलुगु, कन्नड़, तमिल, बांग्ला और उड़िया द्वारा भारतीय किसानों को संस्थान की प्रौद्योगिकियों, फसल पालन के महत्वपूर्ण पहलुओं, पौधों की सुरक्षा और सामान्य निदान तथा उनके समस्याओं के उपचार के बारे में जानकारी दी जा रही है।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

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