22 सितंबर, 2022, अंबाला
"पंजाब और हरियाणा में मक्का आधारित फसल प्रणाली की संभावित उपज प्राप्ति के लिए भागीदारी नवाचार मंच" के तहत हरियाणा में फसल विविधीकरण एवं मक्का की क्षमता पर जागरूकता पैदा करने के लिए, भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना और सिमिट (CIMMYT) ने भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल; चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा, राज्य कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र, हरियाणा के सहयोग से छत्तन गांव, शहजादपुर ब्लॉक, अंबाला में आज राज्य स्तरीय मक्का दिवस का आयोजन किया
ब्रॉयलर के उच्चतम उत्पादन वाले हरियाणा में सालाना 30 लाख टन से अधिक मक्का अनाज की मांग है, लेकिन केवल 20 हजार टन का उत्पादन होता है। किसानों के खेतों में कम उपज की प्राप्ति और चावल की तुलना में कम बाजार मूल्य कारण मक्का को लोकप्रिय बनाने के लिए सबसे बड़ी बाधा हैं। इस मंच के द्वारा अच्छी उत्पादन पद्धतियों को अपनाने के साथ-साथ 30 क्विंटल/एकड़ मक्के की उपज को प्रदर्शित किया है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य में फसल विविधीकरण में मक्का की क्षमता के बारे में किसानों और नीति निर्माताओं के बीच को जागरूक करना था। मक्का फसल को उगाने वाले किसानों ने अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव साझा किए जिसे इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले 600 से अधिक किसान काफी उत्साहित हुए।
समारोह के मुख्य अतिथि, श्री जे.पी. दलाल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, हरियाणा सरकार ने फसल विविधीकरण की दिशा में हरियाणा सरकार द्वारा की गई पहलों को रेखांकित किया, जिसके तहत मक्का उगाने के लिए प्रति एकड़ 7000 रुपये की की दर से सब्सिडी दी जा रही है। हालांकि, मक्का अभी भी लोकप्रियता हासिल नहीं कर रहा है, जबकि सरकार चावल के विकल्प के रूप में मक्का को प्रोत्साहित करने की इच्छुक है। उन्होंने राज्य में सिलेज मक्का की क्षमता पर प्रकाश डाला और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सभी समर्थन का आश्वासन दिया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. पी.के. सिंह, आयुक्त कृषि, भारत सरकार सरकार ने भाकृअनुप-आईआईएमआर और उसके सहयोगियों द्वारा न केवल मक्का प्रौद्योगिकियों को लाने में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की बल्कि किसानों के सामने इसकी क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तरह के प्रयासों से अधिक किसानों को मक्का उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और इस क्षेत्र में मक्का आधारित टिकाऊ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार राज्य में मक्का को बढ़ावा देने के लिए अपनी क्षमता के अनुकूल योजनाओं का समर्थन करेगी।
डॉ सुजय रक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएमआर, लुधियाना ने कहा कि चावल की तुलना में कम फसल अवधि के साथ पानी की बचत और फसल अवशेषों को आसानी से शामिल करने के अलावा, जल्दी गेहूं या अन्य रबी फसल रोपण को अत्यधिक गर्मी के दबाव को जुझने में सक्षम बनाता है। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए मक्का-सरसों-मूंग फसल प्रणाली को बढ़ावा देने और तिलहन और दलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
डॉ. पी.सी. शर्मा, निदेशक, भाकृअनुप-सीएसएसआरआई, करनाल ने इस बात पर जोर दिया कि मक्का में सर्वोत्तम प्रबंधन तकनीकों का विस्तार तथा फसल विविधीकरण में मक्का की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए महत्वपूर्ण है।
डॉ. महेश गाथाला, सीआईएमएमवायटी (सिमिट); डॉ. जीत राम शर्मा, निदेशक अनुसंधान, सीसीएस, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार; डॉ. सैन दास, पूर्व निदेशक मक्का, भाकृअनुप ने भी सभा को संबोधित किया और मक्का उत्पादन की क्षमता पर प्रकाश डाला, राज्य में चावल आधारित फसल प्रणाली में विविधता लाने के लिए मजबूत नीतिगत समर्थन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
विभिन्न संस्थानों, भाकृअनुप-आईआईएमआर, सीआईएमएमवायटी और निजी उद्यमों के विभिन्न स्टॉल के माध्यम से मेहमानों एवं आगंतुकों के लिए अपनी मक्का प्रौद्योगिकियों, मशीनरी तथा उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम में 600 से अधिक किसानों ने भाग लिया तथा महिला किसानों सहित 15 प्रगतिशील किसानों को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित भी किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)
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