भाकृअनुप-एनआरसीबी की पहल - महिला एफपीओ सदस्यों के व्यावसायिक उद्यम के लिए “केला शक्ति” का लाइसेंस देकर उनका आर्थिक सशक्तिकरण

भाकृअनुप-एनआरसीबी की पहल - महिला एफपीओ सदस्यों के व्यावसायिक उद्यम के लिए “केला शक्ति” का लाइसेंस देकर उनका आर्थिक सशक्तिकरण

13 दिसंबर, 2022, त्रिची

श्रीरंगम केला उत्पादक संगठन, तिरुचिरापल्ली 1200 सदस्यों वाली महिला केला किसानों का एक संगठित पहल है। इस एफपीओ को त्रिची की डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट से 'वझ्लंधु कट्टुवोम' (लेट्स लिव) योजना के बिजनेस इनोवेशन फंड के तहत वित्तीय सहायता मिली है। तिरुचिरापल्ली में 'वझ्लंधु कट्टुवोम' योजना के तत्वावधान में, एफपीओ का भाकृअनुप-एनआरसीबी के साथ 'केला शक्ति' के उत्पादन के व्यावसायिक उद्यम के लिए टीओटी का समझौता था जो मुख्य रूप से उनकी आजीविका को उपर उठाने तथा महिला किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण में करेगा। एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन - एमएसएसआरएफ संगठन की त्रिची इकाई ने भी महिला एफपीओ की पहल का समर्थन किया है।

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आज यहां एफपीओ और भाकृअनुप-एनआरसीबी के बीच बनाना शक्ति के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

सूक्ष्म पोषक मिश्रण द्वारा उत्पादन प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए तीन महिला किसानों और दो पुरुष किसानों ने भाकृअनुप-एनआरसीबी से तकनीकी जानकारी प्राप्त की।

भाकृअनुप-एनआरसीबी के निदेशक, डॉ. आर. सेल्वराजन ने कहा कि केले की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी एक आम समस्या है और इसका उपज और गुणवत्ता पर भारी प्रभाव पड़ता है। इसलिए, भाकृअनुप-एनआरसीबी ने अपने अनुसंधान कार्यक्रम को सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकताओं पर केन्द्रित किया है। इस प्रकार सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण केला उत्पादन से संबंधित कृषक समुदाय के बीच लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। साथ ही यह बैकस्टॉपिंग तकनीकी एफपीओ तथा महिला किसानों का समर्थन करने की एक वर्तमान पहल है जो निश्चित रूप से न केवल प्रौद्योगिकी के उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करेगी बल्कि महिला किसानों के आर्थिक स्तर को सुधारने में भी मददगार साबित होगी।

डॉ. के.जे. जयबास्करन, प्रधान वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के आविष्कारक ने बताया कि "केला शक्ति" सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को ठीक करता है और केले की फसल में प्राथमिक तथा द्वितीयक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की 'उपयोग क्षमता' को बढ़ाता है, जिससे उत्पादकता में 15 - 20% की वृद्धि के साथ-साथ गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। इस तरह केला शक्ति का उपयोग करके, एक लाख रु. प्रति हेक्टेयर तक का अतिरिक्त शुद्ध लाभ प्राप्त हो सकता है।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली)

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