भाकृअनुप-एनबीएजीआर, करनाल द्वारा 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

भाकृअनुप-एनबीएजीआर, करनाल द्वारा 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

21 सितम्बर, 2022, करनाल

भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल ने आज ब्यूरो के 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर "पशु आनुवंशिक संसाधन (एएनजीआर) प्रबंधन के लिए समकालीन प्रौद्योगिकी" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का आयोजन सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ डोमेस्टिक एनिमल बायोडायवर्सिटी (SOCDAB) के सहयोग से हाइब्रिड मोड में किया गया।

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मुख्य अतिथि, डॉ. बी.एन. त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) ने अपने फाउंडेशन व्याख्यान में कहा कि देश में एएनजीआर द्वारा जैव विविधता के लिए एक उपलब्धि के रुप में हासिल करने के लिए ब्यूरो को बधाई दी और बताया कि संस्थान का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव स्पष्ट है। उन्होंने भविष्य के लिए देशी नस्लों के लचीलेपन और विशिष्टता की पहचान करने के लिए इस पर काम करने का भी आग्रह किया। डॉ. त्रिपाठी ने ब्रीड वॉच लिस्ट 2022 भी जारी की।

सम्मानित अतिथि, डॉ. एम.एस. चौहान, कुलपति, जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, ने संगोष्ठी में व्याख्यान के दौरान देशी नस्लों के संरक्षण में उभरती प्रजनन प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया।

पद्मश्री डॉ. एम.एल. मदन, पूर्व उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

डॉ. बी.पी. मिश्रा, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएजीआर ने अपने स्वागत संबोधन में ब्यूरो की उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगस्त 2021 में जीरो नॉन-डिस्क्रिप्ट एएनजीआर आबादी के लिए मिशन शुरू करने के बाद, 13 राज्यों के साथ इंटरफेस मीटिंग की गई और देश में देशी एएनजीआर के दस्तावेजीकरण के लिए 15 राज्यों में सर्वेक्षण भी किया गया।

विभिन्न संस्थानों के लगभग 300 वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों ने संगोष्ठी में ऑफलाइन और ऑनलाइन रूप में भाग लिया।

दो दिनों की लंबी चर्चा के दौरान, शोधकर्ताओं द्वारा मौखिक और पोस्टर प्रस्तुति के माध्यम से, ओमिक्स दृष्टिकोण सहित एएनजीआर के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में 200 से अधिक पत्र प्रस्तुत किए गए।

संगोष्ठी के दौरान देश में एएनजीआर प्रबंधन से संबंधित विशिष्ट सिफारिशें भी सामने आईं।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल)

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