भाकृअनुप-क्रिजाफ ने अपना 71वां स्थापना दिवस मनाया

भाकृअनुप-क्रिजाफ ने अपना 71वां स्थापना दिवस मनाया

9 फरवरी, 2023, बैरकपुर

मुख्य अतिथि, डॉ. स्वप्न कुमार दत्ता, बिस्वा बांग्ला विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पूर्व उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने जूट उत्पादक किसानों की सेवा के लिए सराहनीय उपलब्धियों एवं निरंतर प्रयासों की सराहना की। डॉ. दत्ता ने कहा कि जूट जीनोम की जानकारी के डिकोडिंग से, सभी वांछनीय गुणों तथा जलवायु अनुकूलन के साथ डिजाइनर जूट विकसित करने के नए अवसर खुलेंगे। उन्होंने संबंधित हितधारकों के बीच संस्थान की दृश्यता बढ़ाने से संबन्धित उत्कृष्ट प्रयास के लिए संस्थान की सराहना की।

डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी, बैरकपुर ने कहा कि हर संस्थान को भाकृअनुप-क्रिजाफ की तरह किसानों के साथ जुड़ाव विकसित करना चाहिए। उन्होंने भाकृअनुप-क्रिजाफ के साथ संयुक्त कार्यक्रम आयोजित करने पर जोर दिया, जिससे मछुआरों को व्यावसायिक जलीय कृषि के लिए जूट रिटिंग टैंक का उपयोग करने में मदद मिलेगी।

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डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक प्रत्येक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रमुख प्रदूषक हैं, जिन्हें जूट आधारित विविध उत्पादों को बढ़ावा देकर ही बदला जा सकता है और सीआरआईजेएएफ ने इस दिशा में पहले ही अपनी छाप छोड़ी है।

प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रमुख, डॉ. तिमिर बरन झा ने कहा कि संस्थान ने जूट किसानों और उद्योगों की बेहतरी के लिए अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकी विकास में सफलता हासिल की है।

श्री देबदत मुखर्जी, सहायक निदेशक, राष्ट्रीय जूट बोर्ड ने सहयोगी कार्यक्रमों के माध्यम से जूट की खेती के लिए नई तकनीकों को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ खेतिहर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में भाकृअनुप-क्रिजाफ के साथ एनजेबी के साथ मजबूत जुड़ाव को दोहराया।

इससे पहले, डॉ. गौरंगा कार, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजाफ ने जूट किसानों के सामने आने वाली बाधाओं और समस्याओं को हल करने के लिए सुनहरे इतिहास, प्रमुख उपलब्धियों, किस्मों तथा संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने पारिस्थितिक सेवा, न्यूट्रास्यूटिकल्स और अन्य उप-उत्पादों के लिए, फाइबर उपज से परे, आदर्श प्रार्थक फसलों के रूप में इन फसलों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। डॉ. कार ने उल्लेख किया कि प्रौद्योगिकी विकास आवश्यकता-आधारित, समस्या-समाधान अनुसंधान, कार्यक्रम मोड तथा अनुसंधान परियोजना का पुनर्विन्यास इस उपज बाधा को तोड़ सकता है और उपज अंतर को पाट सकता है। इसके अलावा, उन्होंने जूट आधारित स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों के गठन की सुविधा के लिए संस्थान के महत्व और विशेष पहल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मूल्यवर्धित जूट विविध उत्पादों के निर्माण पर प्रशिक्षण उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करेगा और जूट क्षेत्र में लगे किसानों और अन्य हितधारकों के लिए उच्च आय सुनिश्चित करेगा।

गणमान्य व्यक्तियों ने क्रिजाफ, केवीके तथा एसएचजी द्वारा विकसित प्रमाणित तकनीकों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर भाकृअनुप-क्रिजाफ प्रौद्योगिकियों के व्यवसायीकरण में शामिल उद्योगों और अच्छे प्रदर्शन वाले एसएचजी को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग, सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संस्थान ने भाकृअनुप संस्थान और क्षेत्रीय स्टेशन, किसान, एसएचजी सदस्य, संस्थान के कर्मचारी और मीडियाकर्मी द्वारा की गई। यहां पर, भाकृअनुप-क्रिजाफ, केवीके, एसएचजी और एफपीओ के उत्पादों की प्रमाणित तकनीकों को सभी हितधारकों और किसानों के लाभ के लिए विभिन्न प्रदर्शनी स्टालों में प्रदर्शित भी किया गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)

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