10 जुलाई, 2025, भुवनेश्वर
मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने आज मत्स्य पालन विभाग, ओडिशा सरकार तथा राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के सहयोग से भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठा जल जलीय कृषि संस्थान, कौशल्यागंगा, भुवनेश्वर में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 का आयोजन किया गया।
हर साल 10 जुलाई को मनाया जाने वाला यह दिन डॉ. के.एच. अलीकुन्ही और डॉ. एच.एल. चौधरी की अग्रणी उपलब्धि का प्रतीक है, जिन्होंने 1957 में कार्प मछली का पहला सफल प्रेरित प्रजनन किया था, जिसने भारतीय जलीय कृषि के परिदृश्य को बदल दिया।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री राजीव रंजन सिंह, केन्द्रीय मंत्री ने नवाचार, क्षमता निर्माण तथा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत निरंतर समर्थन के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस अवसर पर, उन्होंने 17 मत्स्य पालन समूहों, भाकृअनुप-एनएफडीबी प्रशिक्षण कैलेंडर, बीज प्रमाणन और हैचरी दिशानिर्देशों, तथा भाकृअनुप-सीआईएफए के प्रकाशन "मीठे जल जलीय कृषि प्रौद्योगिकियां: विविधीकरण और स्थिरता के लिए नवाचार" का शुभारंभ किया। मंत्री ने पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ, स्टार्ट-अप एवं किसान क्रेडिट कार्ड तथा जलीय फसल बीमा जैसी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भी सम्मानित किया।
उन्होंने कई पीएमएमएसवाई परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन व शिलान्यास किया, जिसमें मत्स्य कृषकों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार और समग्र समर्थन पर जोर दिया गया। पिछले दशक (2014-2024) में मछली उत्पादन में 103% की वृद्धि को दर्शातो हुए, उन्होंने मोती पालन, जैविक जलीय कृषि, पाबड़ा और मुर्रेल पालन जैसे उभरते क्षेत्रों में कौशल विकास के महत्व पर बल दिया।

इस कार्यक्रम में प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, और श्री जॉर्ज कुरियन, केन्द्रीय राज्य मंत्री; श्री गोकुलानंद मल्लिक, मत्स्य पालन मंत्री, ओडिशा; श्री सुकांत कुमार पाणिग्रही, सांसद; श्री आश्रित पटनायक, विधायक; डॉ. अभिलक्ष लिखी, सचिव, मत्स्य विभाग; डॉ. जे.के. जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य पालन), भाकृअनुप; डॉ. बी.के. बेहरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एनएफडीबी; और डॉ. पी.के. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफए सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारी; प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्य आकर्षण एफएफपीओ, स्टार्ट-अप और महिला-नेतृत्व वाले मछुआरा समूहों द्वारा मूल्य वर्धित उत्पादों, नवाचारों और जमीनी स्तर की जलीय कृषि पहलों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी थी।
किसानों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों और हितधारकों सहित 1,500 से अधिक प्रतिभागियों के साथ, इस कार्यक्रम ने जमीनी स्तर पर मज़बूत जुड़ाव को दर्शाया और भारत की नीली क्रांति को आगे बढ़ाने में विज्ञान, नीति और समुदाय-नेतृत्व वाली जलीय कृषि के बीच तालमेल को मज़बूत करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठा जल जलीय कृषि संस्थान, भुवनेश्वर)
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