10 जुलाई, 2025, पालघर
राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 का आयोजन भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, दहानू, पालघर द्वारा कोसबद हिल में संयुक्त रूप से किया गया। यह कार्यक्रम डॉ. हीरालाल चौधरी और डॉ. के.एच. अलीकुन्ही की ऐतिहासिक उपलब्धि का स्मरण करता है, जिन्होंने जुलाई 1957 में भारतीय मेजर कार्प्स में सफलतापूर्वक प्रजनन को प्रेरित किया और भारतीय जलीय कृषि के लिए एक नए युग की शुरुआत की।
डॉ. एन.पी. साहू, निदेशक और कार्यवाहक कुलपति, भाकृअनुप-सीआईएफई, मुंबई ने किसानों से वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना जैसी योजनाओं का लाभ उठाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम के दौरान पाँच प्रगतिशील मत्स्य कृषकों को सम्मानित किया गया। तकनीकी सत्र में इमर्सिव एआर/वीआर प्रदर्शन प्रस्तुत किए गए, जिससे किसानों को मछली की शारीरिक रचना, तालाब प्रबंधन और रोग निदान के 3डी सिमुलेशन का अनुभव प्राप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में मत्स्य किसान संगोष्ठी और "मन की बात: मत्स्य किसान के साथ" नामक एक इंटरैक्टिव पैनल चर्चा भी शामिल थी, जिससे मत्स्य किसानों और भाकृअनुप-सीआईएफई के वैज्ञानिकों के बीच सीधा संवाद संभव हुआ।
एक लाइव ड्रोन प्रदर्शन में तालाबों में स्वचालित फ़ीड अनुप्रयोग का प्रदर्शन किया गया, जिससे श्रम में कमी आई तथा दक्षता में वृद्धि हुई, जिससे विशेष रूप से छोटे किसानों को लाभ हुआ। इस प्रदर्शन का नेतृत्व प्रशिक्षित भाकृअनुप-सीआईएफई पायलटों ने किया।
मत्स्य पालन एवं कृषि-व्यवसाय नवाचारों पर एक लघु प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान की तकनीकों, मछली फ़ीड के नमूनों, मूल्यवर्धित उत्पादों और सूचना सामग्री को प्रदर्शित किया गया।
इसका मुख्य आकर्षण एपईईएस प्रभाग द्वारा "अपने किसान/मछुआरे को जानें" (केवाईएफ) पहल का शुभारंभ था। मत्स्य किसानों और मछुआरों का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के उद्देश्य से, यह आउटरीच, नीति नियोजन और व्यक्तिगत समर्थन को बढ़ाएगा। इस प्रयास के तहत एक पृष्ठ का किसान प्रोफ़ाइल दस्तावेज़ भी प्रस्तुत किया गया।

राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 समारोह ने भारत के जलीय कृषि समुदाय की जीवंत भावना को प्रतिबिंबित किया और मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका पर बल दिया।
महिला प्रतिभागियों, मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों और टीएन फाउंडेशन के प्रतिनिधियों सहित 200 से अधिक मत्स्य कृषकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें मत्स्य पालन में उभरती प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी क्षमता का प्रदर्शन किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई)
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