भाकृअनुप-सीबा द्वारा भारतीय मछुआरे कल्याण संघ के सहयोग से नवी मुंबई, महाराष्ट्र में एक शून्य-अपशिष्ट मछली बाजार मॉडल की स्थापना

भाकृअनुप-सीबा द्वारा भारतीय मछुआरे कल्याण संघ के सहयोग से नवी मुंबई, महाराष्ट्र में एक शून्य-अपशिष्ट मछली बाजार मॉडल की स्थापना

6-9 फरवरी, 2023, बेलापुर, नवी मुंबई

भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान, चेन्नई ने फिशवर्कर्स वेलफेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया, ('फिशफेड, इंडिया'), नवी मुंबई के साथ 27 सितंबर, 2022 को सीबा-प्लैंकटनप्लस उत्पादन तकनीक को गैर-अनन्य आधार पर स्थानांतरित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। सीबा-प्लैंकटनप्लस प्लस एक अद्वितीय एक मूल्य वर्धित उत्पाद है जिसका निर्माण मछली के कचरे/ट्रिमिंग्स उपयोग करके विकसित किया जाता है, जो झींगा एवं मछली के पालन अवधि के दौरान एक स्वस्थ फाइटोप्लांकटन और जोप्लांकटन ब्लूम को बनाए रखने में मदद करता है तथा झींगा एवं मछली के विकास तथा उत्पादन प्रदर्शन को प्रभावित किए बिना इसके लिए तैयार फ़ीड की आवश्यकता को भी कम करता है।

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मछली अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई की स्थापना दिवाले गांव मछली बाजार, बेलापुर, नवी मुंबई में की गई है, जो स्वच्छ भारत पहल के तहत बाजार को शून्य अपशिष्ट मॉडल मछली बाजार में परिवर्तित करने का एक प्रयास है।

भाकृअनुप-सीबा के वैज्ञानिकों की एक टीम ने 6 से 9 फरवरी, 2023 तक दिवाले गांव मछली बाजार में 'फिशफेड, इंडिया' के मछली-श्रमिकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया तथा प्लैंकटन प्लस उत्पादन तकनीक का प्रदर्शन किया।

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डॉ. देबासिस डे, प्रधान वैज्ञानिक, सीबा, और इस तकनीक के टीम लीडर ने पश्चिमी तट के किसानों के लिए सीबा-प्लैंकटनप्लस उपलब्ध कराने के लिए इस इकाई के महत्व को संक्षेप में समझाया और कहा कि यह स्वच्छ मछली का देश भर में बाजार का एक अच्छा मॉडल है।

सीबा के वैज्ञानिकों ने मछली के कचरे को मूल्य वर्धित उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए प्रोटोकॉल का प्रदर्शन किया। वाणिज्यिक जलीय कृषि और कृषि में उनके उपयोग और उनकी विपणन क्षमता के बारे में भी बताया गया।

श्री जयदीप पाटिल, अध्यक्ष, 'फिशफेड, इंडिया' ने कहा कि शून्य अपशिष्ट मछली बाजार मॉडल को बढ़ावा देने के साथ-साथ मछली-श्रमिकों की आजीविका के उत्थान के लिए भाकृअनुप-सीबा के सहयोग से ठाणे और मुंबई के मछली बाजारों में जल्द ही 'फिशफेड, इंडिया' की दो और इकाइयां स्थापित की जाएंगी।

इस प्रकार भाकृअनुप-सीबा की प्लैंकटनप्लस तकनीक शून्य अपशिष्ट मछली बाजार को बढ़ावा देने में मदद करती है, जिससे मछुआरों की आजीविका की स्थिति में सुधार होता है, और स्वच्छ भारत मिशन की ओर बढ़ने में मदद मिलती है।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान, चेन्नई)

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