3 अप्रैल, 2023, चेन्नई
भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान (सीबा), चेन्नई ने वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी), वेल्लोर, तमिलनाडु के साथ सीबा- प्लैंकटन प्लस उत्पादन तकनीक को गैर-अनन्य आधार पर स्थानांतरित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। सीबा-प्लैंकटन प्लस प्लस एक अद्वितीय तकनीक का उपयोग करके मछली के कचरे/ ट्रिमिंग्स से विकसित एक मूल्य वर्धित उत्पाद है जो झींगा और मछली पालन तालाबों में स्वस्थ फाइटोप्लैंकटन और जोप्लैंक्टोन ब्लूम को बनाए रखने में मदद करता है और कुशल फ़ीड प्रबंधन में भी सहायता करता है।
डॉ. कुलदीप के. लाल, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए कृषि एवं बागवानी फसलों में प्लैंकटन प्लस के क्षेत्र प्रदर्शन पर पर्याप्त डाटा उत्पन्न करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रौद्योगिकी को पहचानने और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए वीआईटी द्वारा आगे आने के लिए उसकी सराहना की।
डॉ. देबासिस डे, प्रधान वैज्ञानिक, सीबा और इस तकनीक के टीम लीडर ने संक्षेप में एक्वाकल्चर उत्पादकता बढ़ाने में सीबा-प्लैंकटन प्लस की क्षमता के बारे में बताया।
डॉ. पॉल मान सिंह, सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर, वीआईटी आशान्वित थे कि वे भाकृअनुप-सीबा के सहयोग से इस तकनीक का उपयोग करके तटीय किसानों के बीच उद्यमशीलता का विकास करेंगे।
सीबा, चेन्नई की फिश वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट में वीआईटी के छात्रों को प्लैंकटन प्लस उत्पादन तकनीक पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया।
डॉ. पी.के. पाटिल, प्रधान वैज्ञानिक और प्रभारी अधिकारी, प्रौद्योगिकी प्रबंधन संस्थान (आईटीएमयू) – सीबा की एबीआई इकाई ने इस कार्यक्रम का समन्वय किया और डॉ. पी. महालक्ष्मी, प्रधान वैज्ञानिक, सीबा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान, चेन्नई)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें