2 सितंबर, 2025, कासरगोड
भाकृअनुप-केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान, कासरगोड ने "नारियल की शक्ति को उजागर करना, वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करना" विषय पर विश्व नारियल दिवस 2025 मनाया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता, डॉ. संजय कुमार सिंह, उप-महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप, ने की। डॉ. सिंह ने नारियल क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए दीर्घकालिक योजना, शोधकर्ताओं के लिए समान महत्व वाले क्षेत्रों और मजबूत सहयोग एवं विस्तार संबंधों की आवश्यकता पर बल दिया।
इस कार्यक्रम में श्री राजमोहन उन्नीथन, सांसद, कासरगोड; एच.ई. राजदूत दियार नूरबियांतोरो, निदेशक, एनएएम-सीएसएसटीसी, जकार्ता; डॉ. जे. दिनाकरा अडिगा, निदेशक, भाकृअनुप-डीसीआर, पुत्तूर, और डॉ. बी.ए. जेरार्ड, परियोजना समन्वयक, एआईसीआरपी ऑन प्लांटेशन क्रॉप्स भी उपस्थित थे।
अपने उद्घाटन संबोधन में, श्री उन्नीथन ने नारियल को "कल्प वृक्ष" बताया जो आजीविका को बनाए रखता है, साथ ही जलवायु परिवर्तन और अस्थिर कीमतों से उत्पन्न चुनौतियों के प्रति आगाह भी किया। उन्होंने नारियल उत्पादों को एक मज़बूत वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए मूल्य संवर्धन, उत्पाद विविधीकरण और निर्यात पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
अपने स्वागत संबोधन में, डॉ. के. बालचंद्र हेब्बार, निदेशक, भाकृअनुप-सीपीसीआरआई ने नारियल अनुसंधान और सहयोगात्मक पहलों में संस्थान के वैश्विक नेतृत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने जलवायु परिवर्तनशीलता, बाज़ार में उतार-चढ़ाव और उभरते कीटों और बीमारियों जैसे कि रगोज़ स्पाइरलिंग व्हाइटफ़्लाई और ब्लैक-हेडेड कैटरपिलर से उत्पन्न खतरों को रेखांकित किया। उन्होंने जर्मप्लाज्म संरक्षण, सतत मृदा और जल प्रबंधन, फर्टिगेशन, कार्बन पृथक्करण और अपशिष्ट से संपदा प्रौद्योगिकियों के महत्व पर बल दिया। डॉ. हेब्बार ने यह भी कहा कि सीपीसीआरआई के 464 जर्मप्लाज्म अभिगम भविष्य के प्रजनन कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं रखते हैं।
मुख्य संबोधन देते हुए, डॉ. जेलफिना सी. अलौ, महानिदेशक, आईसीसी, जकार्ता, ने नारियल को जलवायु के प्रति संवेदनशील फसल बताया और इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आईसीसी के सदस्य देशों से निकट सहयोग करने, तकनीकों और जर्मप्लाज्म को साझा करने, तथा लचीलेपन को मूल्यवर्धन और साझा समृद्धि से जोड़ने का आग्रह किया।
इस समारोह के एक भाग के रूप में, चार नवोन्मेषी किसानों और तीन उद्यमियों सहित सात उपलब्धि प्राप्तकर्ताओं को सीपीसीआरआई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में तीन प्रकाशनों का विमोचन, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए एक नए जैव-उत्पाद का शुभारंभ और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी हुए।
तकनीकी सत्रों में किसान सशक्तिकरण पर एक हितधारक बैठक और आनुवंशिक संरक्षण एवं जलवायु-लचीली रणनीतियों पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला शामिल थी।
इस कार्यक्रम में लगभग 300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, पापुआ न्यू गिनी, थाईलैंड, श्रीलंका, ब्राजील, फ्रांस और कैरिबियाई द्वीपों का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतर्राष्ट्रीय नारियल समुदाय (आईसीसी) के 30 विदेशी सदस्य शामिल थे। नाबार्ड, राज्य विस्तार एजेंसियों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, किसानों, एफपीओ तथा गैर सरकारी संगठनों के हितधारकों ने भी कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान, कासरगोड)
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