दक्षिण एशिया ने लचीली कृषि को बढ़ावा देने हेतु पहला जलवायु अनुकूलन एटलस किया लॉन्च

दक्षिण एशिया ने लचीली कृषि को बढ़ावा देने हेतु पहला जलवायु अनुकूलन एटलस किया लॉन्च

15 सितंबर, 2025, नई दिल्ली

दक्षिण एशिया, जो दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी का घर है और वैश्विक खाद्य सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का तेज़ी से सामना कर रहा है। बढ़ती बाढ़, लू, सूखा तथा अनियमित वर्षा छोटे किसानों पर भारी दबाव डाल रही है, जिससे जलवायु अनुकूलन रणनीतियां पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गई है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूँ सुधार केन्द्र (सीएमएमवाईटी) और बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीआईएसए) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) तथा अन्य क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से दक्षिण एशियाई कृषि में जलवायु अनुकूलन का एटलस (एसीएएसए) लॉन्च किया है, जो इस क्षेत्र के लिए अपनी तरह का पहला एटलस है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित, एटलस का सह-स्वामित्व और सह-विकास सीएमएमवाईटी-बीआईएसए, भाकृअनुप (भारत), बांग्लादेश कृषि अनुसंधान परिषद (बीएआरसी), नेपाल कृषि अनुसंधान परिषद (एनएआरसी), और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन केन्द्र (एनआरएमसी), श्रीलंका द्वारा किया गया है।

एसीएएसए एक गतिशील, वेब-सक्षम प्लेटफ़ॉर्म है जो उच्च-रिज़ॉल्यूशन जलवायु डेटा, वैज्ञानिक मॉडलिंग और विशेषज्ञ-मान्यता प्राप्त अनुकूलन प्रथाओं को एकीकृत करता है। 15 फसलों और छह पशुधन प्रजातियों को शामिल करते हुए, यह एटलस 25 वर्ग किलोमीटर (4-5 गाँवों के बराबर) के विस्तृत रिज़ॉल्यूशन पर जलवायु जोखिम आकलन प्रदान करता है। यह उपयोगकर्ताओं को जोखिमों की भविष्यवानी करने, स्थानीय अनुकूलन रणनीतियों का पता लगाने तथा अनुसंधान एवं नीति नियोजन के लिए ओपन-सोर्स डेटा, कोड एवं स्क्रिप्ट तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।

इस पहल का उद्देश्य जलवायु-अनुकूल निर्णय लेने को मज़बूत करना और जलवायु अनुकूल कृषि पद्धति में अधिक निवेश को आकर्षित करना है। इसे जलवायु अनुकूलन उपायों को आगे बढ़ाने में नीति निर्माताओं, सरकारों, वित्तीय संस्थानों, कृषि-खाद्य उद्योगों, बीमा प्रदाताओं, दाताओं तथा नागरिक समाज संगठनों का समर्थन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

लॉन्च के अवसर पर बोलते हुए, प्रबंध डॉ. बी.एम. प्रसन्ना, निदेशक, बीआईएसए, ने कहा, "बीआईएसए को एसीएएसए के विकास में अपने क्षेत्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करने पर गर्व है। यह प्लेटफ़ॉर्म व्यावहारिक अनुकूलन रणनीतियों पर प्रकाश डालता है जो जलवायु-अनुकूल निवेशों और नीतियों को सूचित कर सकती हैं, और अंततः दक्षिण एशिया की कृषि प्रणालियों में जलवायु अनुकूलता को मजबूत कर सकती हैं।"

South Asia Launches First Climate Adaptation Atlas for Resilient Agriculture

भारत की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), ने कहा, " भाकृअनुप जलवायु कार्रवाई पर ज्ञान तथा अनुभव साझा करने के लिए वैश्विक सहयोग को महत्व देता है। एसीएएसए जैसे उपकरण जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो भारत के सतत विकास के अमृत काल दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।"

डॉ. नज़मुन नाहर करीम, कार्यकारी अध्यक्ष, बीएआरसी, बांग्लादेश, ने आशा व्यक्त करते हुए कहा, "एसीएएसए परियोजना चार देशों में स्पष्ट उद्देश्यों के साथ कार्यान्वित की जा रही है। मुझे विश्वास है कि यह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगी और किसानों और हितधारकों को सार्थक लाभ प्रदान करेगी।"

नेपाल की ओर से, डॉ. कृष्ण प्रसाद तिमसिना, कार्यकारी निदेशक, एनएआरसी, ने जलवायु जोखिमों के प्रति देश की संवेदनशीलता पर ज़ोर देते हुए कहा, "मध्य और सुदूर पश्चिमी क्षेत्रों, पहाड़ों और दक्षिणी मैदानों में एसीएएसए नेपाल के जलवायु लचीलापन बनाने के प्रयासों का पूरक है।"

इसी तरह, डॉ. डब्ल्यू.ए.आर.टी. विक्रमाराच्ची, महानिदेशक, कृषि विभाग, श्रीलंका, ने स्थानीय आकलन की आवश्यकता पर ज़ोर दिते हुए कहा, "जलवायु-अनुकूल कृषि की ओर श्रीलंका के मार्ग के लिए जलवायु जोखिमों तथा अनुकूलन रणनीतियों के व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता है। एटलस, जोखिमों को मापने और प्रभावी विकल्पों की पहचान करने के लिए एक अत्यंत आवश्यक ढाँचा प्रदान करता है।"

क्षेत्रीय विशेषज्ञता को एकत्रित करके और उन्नत डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाकर, एसीएएसए दक्षिण एशिया में जलवायु-अनुकूल कृषि के लिए एक ऐतिहासिक सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंच किसानों, शोधकर्ताओं एवं नीति निर्माताओं को बदलती जलवायु के संदर्भ में जोखिमों को कम करने तथा खाद्य प्रणालियों को सुरक्षित करने के लिए व्यावहारिक मार्ग प्रदान करता है।

(स्रोत: अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग, भाकृअनुप)

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