6-7 फरवरी, 2023, बेंगलुरु
भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु परिसर ने 6-7 फरवरी, 2023 के दौरान एफएमडी पर एक सहयोगी अनुसंधान परियोजना के तहत "एफएमडी वैक्सीन गुणवत्ता परीक्षण और भारत की पशु वैक्सीन परीक्षण क्षमताओं को बढ़ाना" नामक अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक कार्यशाला की मेजबानी की, जिसे पशुपालन और डेयरी विभाग(डीएएचडी), भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
भाकृअनुप-आईवीआरआई बेंगलुरु, भाकृअनुप-खुरपका एवं मुंहपका रोग निदेशालय (डीएफएमडी) भुवनेश्वर और चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य संस्थान (सीसीएस-एनआईएएच) बागपत, वर्ल्ड रेफरेंस लेबोरेटरी फॉर फुट-एंड-माउथ डिजीज (डब्ल्यूआरएल-एफएमडी) यूके और द पिरब्राइट इंस्टीट्यूट, यूके के साथ सहयोग से विकसित किए जा रहे एफएमडी वैक्सीन क्यूसी परीक्षण प्रोटोकॉल पर प्रदर्शन तथा तकनीकी चर्चा के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
अपने ऑनलाइन उद्घाटन संबोधन में, डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप ने भाकृअनुप-आईवीआरआई बेंगलुरु, भाकृअनुप-डीएफएमडी और सीसीएस-एनआईएएच के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की, जो खुरपका-मुंहपका रोग पर नियंत्रण के लिए मिलकर देश की अपेक्षाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने एंटीजेनिक द्रव्यमान का पता लगाने और मवेशियों की चुनौतियों की जगह एफएमडी वैक्सीन गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए वैकल्पिक फुलप्रूफ तरीकों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि डब्ल्यूआरएल-यूके और पिरब्राइट इंस्टीट्यूट, यूके के साथ सहयोग निर्धारित उद्देश्यों को समय पर प्राप्त करने में उपयोगी होगा।
डॉ. अभिजीत मित्रा, पशुपालन आयुक्त, डीएएचडी, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (भारत सरकार) ने अपनी वर्चुअल उद्घाटन टिप्पणी में कहा कि इस सहयोग से हमारे देश में प्रभावी एफएमडी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए वैक्सीन की गुणवत्ता और निदान में सुधार पर काम करने की उम्मीद है। .
डॉ. अशोक कुमार, एडीजी (पशु स्वास्थ्य) ने टीकाकरण द्वारा देश में खुरपका एवं मुंहपका रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए टीके की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उपकरण विकसित करने के लिए सहयोगी परियोजना के महत्व पर जोर दिया।
ब्रिटेन के पिरब्राइट संस्थान में एफएओ वर्ल्ड एफएमडी रेफरेंस लेबोरेटरी के प्रमुख, डॉ. डोनाल्ड किंग ने भारत में एफएमडी टीकाकरण का समर्थन करने के लिए परियोजना का अवलोकन और आवश्यक उपकरण प्रस्तुत किए।
कार्यशाला में आईवीआरआई बेंगलुरु, भाकृअनुप-डीएफएमडी और सीसीएस एनआईएएच के सभी परियोजना अन्वेषकों और अनुसंधान अध्येताओं ने भाग लिया। इस वायरस के एंटीजनिक द्रव्यमान तथा समेकता की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए एलिसा का प्रदर्शन किया गया।
एफएमडी वैक्सीन गुणवत्ता मूल्यांकन और परियोजना से अपेक्षित डिलिवरेबल्स पर एक तकनीकी चर्चा भी आयोजित की गई जिसमें डॉ. डोनाल्ड किंग, डॉ. निकोला शेफर्ड (निदेशक, बेलोज कंसल्टिंग, यूके), डॉ. निकोलस जुलेफ (वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, बिल एंड मेलिंडा गेट फाउंडेशन), डॉ. डैनी गोवर्ट्स (डीजीवीएसी कंसल्टेंसी, बेल्जियम), डॉ. अनिकेत सान्याल, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईएचएसएडी; डॉ. सिंदुरा गणपति, फेलो, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, भारत सरकार; भारत सरकार के डॉ. अनिर्बान गुहा, सहायक आयुक्त (एनएडीसीपी); डॉ. ए.एस. यादव, निदेशक, सीसीएस-एनआईएएच; डॉ. आर.पी. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-डीएफएमडी तथा परियोजना समन्वयक; डॉ. वी. भानु प्रकाश, परियोजना अन्वेषक और डॉ. पल्लब चौधरी, संयुक्त निदेशक, आईवीआरआई, बेंगलुरु परिसर ने कार्यक्रम में भाग लिया।
डॉ. अभिजीत मित्रा, पशुपालन आयुक्त, डीएएचडी कार्यशाला में उपस्थित होकर समापन सत्र की शोभा बढ़ाई। उन्होंने बेहतर क्षमता वाले टीकों के उत्पादन के लिए संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने देश में एफएमडी नियंत्रण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सरकार और एफएमडी वैक्सीन निर्माण कंपनियों के बीच विश्वास वापस लाने पर भी जोर दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु)
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